सीजी भास्कर, 09 नवंबर। छत्तीसगढ़ में निकाय और पंचायत चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इन संस्थाओं का कार्यकाल शीघ्र ही समाप्त हो रहा है, लेकिन नए चुनाव कब होंगे, यह तय नहीं है। राज्य सरकार चाहती है कि पंचायत और निकाय चुनाव एक साथ कराए जाएं, लेकिन अगर समय पर चुनाव नहीं हो पाते हैं तो प्रशासक इन संस्थाओं का कामकाज संभालेंगे।
निकायों का कार्यकाल पांच साल का होता है। चुनाव आमतौर पर कार्यकाल खत्म होने से कुछ महीने पहले करा लिए जाते हैं। इसका मकसद यह होता है कि नई सरकार समय पर काम शुरू कर सके। इससे काम पर नेगेटिव असर नहीं पड़ता और सामान्य रफ्तार से सुचारु काम होता रहता है।
नए कानून में ये हो सकता है प्रावधान :
हालांकि, इस बार चुनाव समय पर होने की संभावना कम दिख रही है। इसलिए छत्तीसगढ़ की साय सरकार एक नया कानून ला रही है, जिसके तहत अगर चुनाव तय समय पर नहीं हो पाते हैं तो अगले छह महीने तक प्रशासक ही कामकाज देखेंगे।
महापौर और अध्यक्षों का चुनाव भी जनता द्वारा :
सूत्रों के मुताबिक पंचायत और निकाय चुनाव एक साथ कराने के अलावा महापौर और अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता द्वारा कराने पर भी विचार चल रहा है।
चुनाव में देरी के ये हो सकते हैं कारण :
चुनाव को लेकर देरी के पीछे कई कारण बताये जा रहे हैं । एक तो चुनाव आयोग को अपनी तैयारी के लिए समय चाहिए। दूसरा ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि चुनाव कराना राज्य निर्वाचन आयोग का काम है और सरकार चुनाव आयोग को निर्देश नहीं दे सकती है।