सीजी भास्कर, 5 सितंबर। एक तरफ सरकार महिला पढ़ाओ महिला बढ़ाओ का नारा दे रही है वहीं दूसरी तरफ कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं जो सरकार के अच्छे इरादों में पलीता लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले से सामने आया है। यहां के एक स्कूल में शिक्षक नहीं हैं, जिसकी वजह से 12 वीं की कुछ छात्राएं जिला शिक्षा अधिकारी से शिक्षकों की नियुक्ति के लिए गुहार लगाने गई थी। लेकिन अपने बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाने और सरकार से मोटी तन्ख्वाह लेकर एसी दफ्तर में बैठने वाले अधिकारी को ये बात नागवार गुजर गई। जिला शिक्षा अधिकारी ने न सिर्फ छात्राओं से दुर्व्यव्हार किया बल्कि उन्हें फटकार लगाते हुए जेल भेजने की धमकी तक दे डाली। जिसके बाद छात्राएं रोते हुए बाहर आ गई।
राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ ब्लॉक के ग्राम आलीवार के हाई स्कूल को दो साल पहले सरकार ने अपग्रेड करते हुए हायर सेकेंडरी का दर्जा दिया था। लेकिन स्कूल में शिक्षकों की पोस्टिंग नहीं की गई और 11 वीं व 12 वीं की कक्षाएं शुरू कर दी गई। शिक्षक नहीं होने की वजह से बच्चे स्कूल जाते और फिर बगैर पढ़े ही वापस घर लौट आते। 11 वीं पास करने के बाद ये बच्चे 12वीं पहुंच गए हैं।
ऐसे में ये बच्चे शिक्षकों की मांग को लेकर कलेक्टर के पास पहुंच गए। कलेक्टर ने उन्हें डीईओ के पास भेज दिया। जहां उन बच्चों ने डीईओ को आवेदन सौंपा। आवेदन देखकर डीईओ साहब भड़क गए और छात्राओं को जेल भेजने तक की धमकी दे डाली।
कक्षा 12वीं बायो की छात्रा आरती साहू ने रोते हुए मीडिया को बताया कि डीईओ ने ज्ञापन देखकर कहा कि बहस मत करो यहां से जाओ। आवेदन में यह सब लिखने किसने सिखाया है। जिंदगी भर जेल की हवा खाओगे तो समझ आएगा। इसके बाद छात्राएं रोते हुए बाहर निकल गई।