दो दिन में अभ्यावेदन प्रस्तुत करने निर्देश
सीजी भास्कर, 11 जून। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में रविन्द्र अग्रवाल की एकल पीठ ने शिक्षिका सरोज सिंह के पक्ष में अंतरिम राहत प्रदान करते हुए उनके स्थानांतरण आदेश को फिलहाल स्थगित कर दिया है।
आपको बता दें कि युक्तियुक्तकरण के बाद सरोज सिंह का स्थानांतरण अतिशेष के रूप में कर दिया गया था। कोर्ट ने निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता आगामी दो दिनों के भीतर संबंधित विभाग को एक ताजा अभ्यावेदन प्रस्तुत करेंगी, और तब तक के लिए उनके तबादले के आदेश पर रोक प्रभावी रहेगी।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अनादि शर्मा ने पैरवी करते हुए न्यायालय के समक्ष यह तर्क रखा कि उनकी मुवक्किल वर्ष 2018 से वर्तमान विद्यालय में कार्यरत हैं और उन्होंने अंग्रेज़ी के साथ-साथ भूगोल विषय भी पढ़ाया है। क्योंकि विद्यालय में भूगोल विषय का कोई अन्य शिक्षक उपलब्ध नहीं था।
इसके बावजूद उन्हें एकतरफा रूप से 45 किलोमीटर दूर स्थित विद्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया। जबकि हाल ही में उच्च न्यायालय के आदेश से बहाल की गई एक अन्य व्याख्याता अनूपमा सारवगी को उसी विद्यालय में अंग्रेज़ी पढ़ाने हेतु पदस्थ कर दिया गया है।
अधिवक्ता शर्मा ने यह भी इंगित किया कि याचिकाकर्ता की वरिष्ठता है, और उनका स्थानांतरण शिक्षा की गुणवत्ता के साथ-साथ उनके पारिवारिक दायित्वों को भी प्रभावित करेगा।
न्यायमूर्ति रविन्द्र अग्रवाल की एकलपीठ ने प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता के तर्कों को विचारणीय मानते हुए स्थानांतरण आदेश को स्थगित रखा है और यह निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता दो दिवस के भीतर ताजा अभ्यावेदन प्रस्तुत करें, जिस पर विभाग नियमानुसार विचार कर निर्णय लेगा।
यह आदेश राज्य के भीतर शिक्षकों के मनमाने स्थानांतरणों पर लगाम लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। विशेष रूप से उन मामलों में जहाँ वर्षों की सेवा, विषय विशेषज्ञता और न्यायिक संतुलन की उपेक्षा की जाती है।