सीजी भास्कर, 24 अक्टूबर। छठ पूजा हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और कठिन व्रतों (Chhath Puja 2025 Date and Significance) में से एक मानी जाती है। इस पर्व में महिलाएं पूरे 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखती हैं और भगवान सूर्यदेव व छठ मैया की पूजा करती हैं। इस व्रत में दो बार सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। पहले ढलते सूर्य को और अगले दिन उगते सूर्य को। इसी के साथ छठ व्रत पूर्ण होता है।
छठ पूजा का महत्व (Chhath Puja 2025 Date and Significance)
छठ पूजा का संबंध सूर्य उपासना और प्रकृति से है। यह पर्व उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित देश के कई राज्यों में अत्यंत श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इसे प्रतिहार, डाला छठ, छठी माई पूजा और सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। व्रती महिलाएं अपने परिवार और संतान की दीर्घायु एवं समृद्धि के लिए यह कठिन व्रत करती हैं। (Chhath Puja 2025 Date and Significance) के अवसर पर व्रती न केवल तप और संयम का पालन करती हैं, बल्कि जीवन में शुद्धता, अनुशासन और श्रद्धा का उदाहरण भी प्रस्तुत करती हैं।
छठ पर्व की शुरुआत और तिथियां (Chhath Puja 2025 Calendar)
इस वर्ष छठ पूजा की शुरुआत 25 अक्टूबर 2025, शनिवार से हो रही है और समापन 28 अक्टूबर, मंगलवार को होगा।
छठ के चार दिन इस प्रकार हैं —
नहाय खाय (Nahay Khay) – 25 अक्टूबर 2025
खरना (Kharna) – 26 अक्टूबर 2025
संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya) – 27 अक्टूबर 2025
ऊषा अर्घ्य (Usha Arghya) – 28 अक्टूबर 2025
पहला दिन – नहाय खाय
छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय कहलाता है। इस दिन व्रती किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करके व्रत की शुरुआत करती हैं। पवित्र भोजन ग्रहण कर अगले तीन दिनों के कठिन व्रत की तैयारी होती है। इस दिन सूर्योदय सुबह 6:28 बजे और सूर्यास्त शाम 5:42 बजे होगा।
दूसरा दिन – खरना (Kharna)
(Chhath Puja 2025 Date and Significance) के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। व्रती दिनभर निर्जला उपवास रखती हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से गुड़ की खीर (रसिया) और घी की रोटी बनाती हैं। सूर्यदेव की पूजा के बाद यही प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इसके बाद व्रती अगले दिन के अर्घ्य तक जल और अन्न का त्याग करती हैं।
तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya)
छठ पूजा का तीसरा दिन सबसे विशेष होता है। व्रती महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को नदी या तालाब में डूबकी लगाते हुए ढलते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इस वर्ष सूर्यास्त का समय शाम 5:40 बजे रहेगा।
चौथा दिन – ऊषा अर्घ्य (Usha Arghya)
(Chhath Puja 2025 Date and Significance) के चौथे दिन यानी अंतिम दिन व्रती सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। सूर्योदय का समय सुबह 6:30 बजे रहेगा। अर्घ्य देने के बाद व्रती जल और प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का कठिन व्रत समाप्त करती हैं, जिसे ‘पारण’ कहा जाता है।
छठ पूजा का धार्मिक संदेश
छठ पूजा सूर्य देव और छठ मैया की उपासना का पर्व है, जो मानव जीवन में ऊर्जा, शुद्धता और आत्म-नियंत्रण के महत्व को दर्शाता है। यह पर्व प्रकृति, जल और जीवन के सामंजस्य का प्रतीक है। (Chhath Puja 2025 Date and Significance) के दौरान व्रती अपने मन, वचन और कर्म से पूर्ण समर्पण के साथ भक्ति करती हैं।
