सीजी भास्कर, 9 नवंबर। राज्य सरकार अब किसानों की आमदनी बढ़ाने और कृषि लागत (Chhattisgarh Crop Diversification 2025) घटाने पर फोकस कर रही है। इसी क्रम में धमतरी जिले में भूमि एवं जल संरक्षण के साथ-साथ किसानों की आय में वृद्धि के लिए फसल चक्र परिवर्तन अभियान को नई गति दी गई है। जिला प्रशासन द्वारा कृषि विभाग और संबंधित एजेंसियों के समन्वय से किसानों को ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर दलहनी, तिलहनी, लघु धान्य और मक्का जैसी कम जल मांग वाली फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
धमतरी जिले में फसल चक्र परिवर्तन पर विशेष जोर
धमतरी जिले में लगभग 1 लाख 58 हजार 180 किसान कृषि व्यवस्था की रीढ़ हैं। जिले में मुख्य सिंचाई साधन नहरें हैं, वहीं करीब 30 हजार नलकूपों से भूमिगत जल का उपयोग किया जा रहा है। लगातार घटते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन ने जल संरक्षण और (Crop Rotation Awareness CG) को अपनाने के लिए विशेष अभियान चलाया है। यह अभियान किसानों में जागरूकता और व्यावहारिक प्रशिक्षण दोनों को शामिल करता है।
हर विकासखंड में 10 गांव होंगे मॉडल
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, धमतरी जिले के सभी विकासखंडों में फसल चक्र परिवर्तन को अपनाने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं। (Crop Diversification Program Chhattisgarh) हर विकासखंड के कम से कम 10 गांवों में 100 प्रतिशत किसानों को धान के स्थान पर दलहनी, तिलहनी और मक्का फसलों की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इन किसानों को न केवल प्रशिक्षण बल्कि सम्मान और प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जाएगी, ताकि वे उदाहरण बन सकें।
बीज भंडारण और वितरण समितियों के माध्यम से
राज्य सरकार अब किसानों की आमदनी बढ़ाने और कृषि लागत (Chhattisgarh Agriculture Department Initiative) के अंतर्गत ग्राम पंचायतों से प्रस्ताव पारित कर फसल चक्र परिवर्तन को संस्थागत रूप से लागू करने के निर्देश जारी किए गए हैं। कृषि विभाग को गांव-गांव में जागरूकता शिविर, ऋण एवं बीज वितरण शिविर आयोजित करने कहा गया है। जिले की 39 प्राथमिक साख सहकारी समितियों में बीजों का पर्याप्त भंडारण किया गया है — जिनमें अब तक 32.10 क्विंटल गेहूं, 296.70 क्विंटल चना, 22.10 क्विंटल तिवड़ा और 52 क्विंटल सरसों के बीज उपलब्ध हैं।
प्रशासन ने किसानों से अपील की है कि वे अपने निकटतम सहकारी समिति या ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर मार्गदर्शन प्राप्त करें और (Crop Diversification Benefits CG) के माध्यम से कम जल मांग वाली फसलों की ओर रुख करें। यह पहल न केवल जल संरक्षण को बढ़ावा देगी बल्कि किसानों की आय में दीर्घकालिक वृद्धि भी सुनिश्चित करेगी।
