सीजी भास्कर, 23 अक्टूबर। हरियाली, संस्कृति और समृद्ध परंपराओं की भूमि छत्तीसगढ़ अब “भारत की खनिज राजधानी (Chhattisgarh Mineral Growth)” के रूप में भी अपनी पहचान मजबूत कर चुका है। राज्य गठन के बाद से खनिज क्षेत्र ने अभूतपूर्व प्रगति की है। जहां वर्ष 2000 में राज्य का खनिज राजस्व मात्र 429 करोड़ रुपये था, वहीं वर्ष 2025 में यह बढ़कर 14,592 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है — यानी 34 गुना की ऐतिहासिक वृद्धि।
राज्य की सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) में खनिज क्षेत्र की हिस्सेदारी अब करीब 10 प्रतिशत (Chhattisgarh Mineral Growth) हो गई है। यह उपलब्धि वन एवं पर्यावरण संरक्षण के साथ सतत विकास (Sustainable Growth) की दिशा में राज्य की नीतियों का परिणाम है।
विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण का संतुलन
1980 से अब तक छत्तीसगढ़ में केवल 28,700 हेक्टेयर भूमि ही खनन के लिए स्वीकृत की गई है, जो राज्य के कुल वन क्षेत्र (59.82 लाख हेक्टेयर) का मात्र 0.47 प्रतिशत है। खनन क्षेत्र में वृक्ष कटाई के बदले 5 से 10 गुना वृक्षारोपण को अनिवार्य बनाया गया है, जिससे राज्य के वन क्षेत्र में 68,362 हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गई है — जो देश में सर्वाधिक है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में सरकार “खनिज से विकास (Mining for Growth)” की नीति को पर्यावरण और जनहित के साथ जोड़कर आगे बढ़ा रही है।
कोयला, लौह अयस्क, बाक्साइट और चूना पत्थर में अग्रणी राज्य
कोयला (Coal): छत्तीसगढ़ देश का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है। यहां 74,192 मिलियन टन भंडार है, जो भारत के कुल कोयले का 20.53% है। राष्ट्रीय उत्पादन में राज्य की हिस्सेदारी 20.73% है। लौह अयस्क (Iron Ore): राज्य के कबीरधाम से दंतेवाड़ा तक की पर्वत श्रृंखलाओं में 4,592 मिलियन टन लौह अयस्क है, जो देश के कुल भंडार का 19.09% है एनएमडीसी बैलाडीला और दल्ली-राजहरा खदानें देश के इस्पात उद्योग की रीढ़ हैं।
बाक्साइट (Bauxite): राज्य में 992 मिलियन टन बाक्साइट भंडार है, जो भारत का 20 प्रतिशत है। सरगुजा, बलरामपुर और कबीरधाम जिलों में हिंडाल्को, वेदांता, सीएमडीसी जैसी कंपनियाँ सक्रिय हैं।
चूना पत्थर (Limestone): छत्तीसगढ़ में 13,211 मिलियन टन चूना पत्थर है, जो राष्ट्रीय भंडार का 5.8 प्रतिशत है। बलौदाबाजार, रायपुर, जांजगीर-चांपा और रायगढ़ में अल्ट्राटेक, एसीसी, अम्बुजा व श्री सीमेंट जैसे संयंत्र कार्यरत हैं।
टिन, डोलोमाइट, सोना और हीरा से भी भरपूर खनिज संपदा
राज्य का 100% टिन उत्पादन छत्तीसगढ़ में होता है — 30 मिलियन टन भंडार के साथ यह देश के सामरिक और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है।
डोलोमाइट का राष्ट्रीय भंडार का 20% हिस्सा छत्तीसगढ़ में है, जबकि गरियाबंद के बेहराडीह और पायलीखंड में हीरा और सोनाखान (बलौदाबाजार) क्षेत्र में 2780 किलोग्राम स्वर्ण भंडार की पुष्टि हुई है।
गौण खनिजों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल
राज्य में 37 प्रकार के गौण खनिज — जैसे रेत, मुरम, मिट्टी, ग्रेनाइट आदि — के उत्खनन से पंचायतों और स्थानीय निकायों को हर साल सैकड़ों करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है। इनसे ग्रामीण रोजगार, सड़क और भवन निर्माण कार्यों को गति मिली है।
डीएमएफ फंड से विकास की नई दिशा
खनन प्रभावित इलाकों में जिला खनिज न्यास निधि (DMF) के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल और सड़कों से जुड़ी परियोजनाएं संचालित हैं। इस मॉडल ने सस्टेनेबल माइनिंग और इनक्लूसिव डेवलपमेंट को नई दिशा दी है। छत्तीसगढ़ ने यह साबित किया है कि अगर नीति में दूरदृष्टि और क्रियान्वयन में संवेदनशीलता हो, तो खनिज संपदा सिर्फ धरती के गर्भ में नहीं, बल्कि जनजीवन की समृद्धि में भी झलक सकती है।