सीजी भास्कर, 13 अक्टूबर। टमाटर की खेती से कई किसान परिवारों ने आत्मनिर्भरता की नई मिसाल कायम की है। इनमें कोरिया जिले की जयवती जैसी महिलाएं शामिल हैं, जिन्होंने मेहनत, लगन और आत्मविश्वास के बल पर खेती को लाभदायक व्यवसाय (Chhattisgarh Tomato Farming Success Story) में बदल दिया है। जयवती बताती हैं, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि हमारे गांव में उगाई गई टमाटर महाराष्ट्र की रसोई तक पहुंचेगी, लेकिन आज यह हकीकत है।”
पड़ोसी राज्यों तक पहुंच रही टमाटर
जयवती ‘चमेली स्व सहायता समूह’ से जुड़ी हैं और अपने पति गोपाल चेरवा के साथ तीन एकड़ भूमि में टमाटर की खेती करती हैं। उनके अनुसार, आधुनिक तकनीकों और उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के उपयोग से उपज में भारी वृद्धि हुई है। अच्छी पैदावार की वजह से अब उनकी टमाटर बिलासपुर, रायपुर से लेकर पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र तक भेजी जा रही है । Chhattisgarh Tomato Farming Success Story)। सालभर में लगभग तीन लाख रुपये की आय से परिवार की आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
जयवती कहती हैं कि खेती ने न केवल उनके परिवार को आर्थिक स्थिरता दी, बल्कि समाज में पहचान भी दिलाई। उनके दो बच्चे हैं—बेटी कक्षा छठवीं में और बेटा कक्षा बारहवीं में पढ़ाई कर रहा है। अब वे बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए पूरी निष्ठा से प्रयास कर रही हैं।
स्व-सहायता समूहों से मिली नई ताकत
जयवती बताती हैं कि स्व-सहायता समूहों ने ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर दिया है। समूहों के माध्यम से वे प्रशिक्षण प्राप्त कर आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाती हैं। इससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ी है, बल्कि समाज में सम्मान भी मिला है। राज्य सरकार की योजनाओं ने भी इन समूहों को आर्थिक रूप से मजबूत किया है।
कोरिया जिले में अब कई महिलाएं टमाटर और सब्जी उत्पादन को व्यवसाय के रूप में अपना रही हैं। ये महिलाएं अपने गांवों में खेती के आधुनिक मॉडल (Chhattisgarh Tomato Farming Success Story) स्थापित कर रही हैं, जिससे न केवल स्थानीय बाजारों को लाभ हो रहा है बल्कि राज्य के बाहर भी छत्तीसगढ़ की पहचान एक “ग्रीन इकॉनमी” राज्य के रूप में बन रही है।