रायपुर | अपडेटेड: 26 जून 2025
छत्तीसगढ़ और देश के सुप्रसिद्ध हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे का आज निधन हो गया। जानकारी के मुताबिक उन्हें दिल का दौरा (Heart Attack) पड़ा था, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से साहित्य और कवि मंचों की दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई है।
कविताओं से लाखों दिलों को हंसाया
डॉ. सुरेंद्र दुबे का जन्म 8 अगस्त 1953 को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के बेमेतरा में हुआ था। वे अपने विशिष्ट हास्य और व्यंग्य की शैली के लिए पूरे देश में लोकप्रिय रहे। उन्होंने अपनी ज़िंदगी में पांच किताबें लिखीं, जिनमें समाज की विसंगतियों पर तीखे मगर हास्य से भरपूर प्रहार देखने को मिलते थे।
मंच और टेलीविज़न का जाना-पहचाना नाम
डॉ. दुबे न केवल काव्य मंचों पर छाए रहे, बल्कि वे टेलीविज़न शोज़ जैसे “Wah! Wah! Kya Baat Hai!” और अन्य कवि सम्मेलनों में भी मुख्य आकर्षण बने रहे। उनका हास्य व्यंग्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज की गंभीर समस्याओं को हंसते-हंसते कहने की कला भी था।
सम्मान और उपलब्धियाँ
हास्य के क्षेत्र में उनकी विशेष पहचान और योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2010 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया था। इसके अलावा उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार भी प्राप्त हुए:
- 2012: पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान
- अट्टहास सम्मान
- लीडिंग पोएट ऑफ इंडिया, संयुक्त राज्य अमेरिका में
- 2019: अमेरिका के वाशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय हिंदी एसोसिएशन द्वारा ‘हास्य शिरोमणि सम्मान’
अंतरराष्ट्रीय पहचान
डॉ. सुरेंद्र दुबे न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी अपनी हास्य कविताओं से लोगों का दिल जीतते रहे। वे अमेरिका, कनाडा, और अन्य देशों में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलनों में भाग लेकर हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति का परचम लहराते रहे।
साहित्य और हास्य प्रेमियों के लिए अपूरणीय क्षति
उनके निधन की खबर से न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देशभर के हास्य प्रेमियों और साहित्य जगत में शोक की लहर फैल गई है। , लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं और उनके वीडियो क्लिप्स शेयर कर रहे हैं।