सीजी भास्कर, 27 सितम्बर |Child Maintenance Order Chhattisgarh: पिता की मृत्यु के बाद दादा जिम्मेदार
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि पिता की मृत्यु के बाद उसके नाबालिग बच्चों का भरण-पोषण दादा (Grandfather Responsibility) की जिम्मेदारी है। बलौदा-भाटापारा जिले के पलारी तहसील के बालौदी गांव की महिला के तीन बच्चों को हर माह दो-दो हजार रुपये प्रति बच्चा देने का आदेश दादा को दिया गया।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बहू (Wife) को भरण-पोषण का हक नहीं मिलेगा, क्योंकि विवाह कानूनी रूप से प्रमाणित नहीं था।
Child Maintenance Order Chhattisgarh: पति ने की थी आत्महत्या, परिवार पर बीते कठिन दिन
महिला ने बताया कि उनकी शादी वर्ष 2008 में रेशम लाल साहू से हुई थी और इसके बाद तीन बच्चे हुए। कुछ वर्षों तक सब कुछ सामान्य रहा, लेकिन बाद में पति ने मानसिक प्रताड़ना शुरू कर दी।
12 जून 2018 को रेशम लाल ने मिट्टी का तेल डालकर आत्महत्या कर ली। इसके बाद महिला बच्चों के साथ ससुराल में रही, लेकिन वहां भोजन, स्वास्थ्य और देखभाल की अनदेखी हुई।
फैमिली कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती
महिला ने फैमिली कोर्ट में आवेदन देकर खुद के लिए पांच हजार और प्रत्येक बच्चे के लिए तीन-तीन हजार रुपये मासिक भरण-पोषण की मांग की। फैमिली कोर्ट ने फरवरी 2023 में फैसला देते हुए बहू के भरण-पोषण की मांग खारिज की, लेकिन बच्चों के लिए दादा को जिम्मेदार ठहराया।
ससुर ने हाई कोर्ट में अपील की, तर्क देते हुए कि विवाह कानूनी नहीं है, इसलिए वे भरण-पोषण देने के लिए बाध्य नहीं हैं।
Child Maintenance Order Chhattisgarh: हाई कोर्ट ने अपील खारिज की
जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने अपील खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट का आदेश बरकरार रखा।
कोर्ट ने कहा कि हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम के अनुसार बच्चे आश्रित की श्रेणी में आते हैं। दादा को यह जिम्मेदारी निभानी होगी क्योंकि ससुर ने स्वयं स्वीकार किया है कि बच्चे उनके घर में पैदा हुए और उनके बेटे की संतान हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पी.के. पलानीसामी मामले का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आवेदन में गलत धारा का उल्लेख होने से आदेश अमान्य नहीं होता।