सीजी भास्कर, 3 सितंबर। बालक आश्रम मानकापाल, विकासखण्ड सुकमा से एक गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। आश्रम में बच्चों को भोजन में केवल नमक के साथ परोसा गया, जिससे उनके पोषण और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता था। इस मामले की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन ने तत्काल संज्ञान लिया और कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव के निर्देशन में सहायक आयुक्त हेमंत सिन्हा, मण्डल संयोजक ने आश्रम का औचक निरीक्षण किया।
जांच के दौरान पाया गया कि बच्चों को पौष्टिक आहार के बजाय केवल नमक पर आधारित भोजन परोसा गया था, जो छात्रावास मानकों और पोषण निर्देशों के विपरीत था। इस घटना को गंभीर मानते हुए प्रभारी अधीक्षक जय प्रकाश बघेल के खिलाफ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 (उप-नियम I, II एवं III) के तहत आचरण में घोर लापरवाही और पदीय कर्तव्यों के उल्लंघन के आरोप लगाए गए। इसके परिणामस्वरूप उन्हें तत्काल निलंबित किया गया और विभागीय जांच प्रक्रिया शुरू की गई।
निलंबन अवधि के दौरान, बघेल का मुख्यालय कार्यालय विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, विकासखण्ड सुकमा रहेगा तथा उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता मिलेगी। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि किसी भी अधिकारी द्वारा आश्रमों और छात्रावासों में बच्चों के भोजन, स्वास्थ्य और देखभाल में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि सभी छात्रावासों और आश्रमों में बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने की सतत् निगरानी करें, जिससे भविष्य में इस प्रकार की घटना न दोहराई जा सके।
कलेक्टर ध्रुव ने कहा कि बच्चों का पोषण और सुरक्षा प्राथमिकता होगी और सभी कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रत्येक छात्र को संतुलित और पौष्टिक आहार (nutrition) मिले। साथ ही अधिकारियों ने आश्रम में कार्यरत कर्मचारियों के प्रशिक्षण और भोजन वितरण प्रणाली (oversight) में सुधार की भी आवश्यकता बताई। यह कार्रवाई बच्चों की देखभाल, स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्रशासन की जिम्मेदारी और सतर्कता (accountability) को दर्शाती है।