सीजी भास्कर, 11 दिसंबर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य श्रीमती सरला कोसरिया, श्रीमती लक्ष्मी वर्मा, श्रीमती ओजस्वी मंडावी एवं सुश्री दीपिका शोरी ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में प्रदेश स्तर पर आज 294वीं सुनवाई हुई तथा यह रायपुर जिले की 140 वीं जनसुनवाई थी।
एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि दोनों पक्षों का तलाक हो चुका है और अनावेदक ने दूसरा विवाह कर लिया है। अनावेदक ने बताया कि वह अपने बेटे का खर्च वहन कर रहा है और गुढियारी का मकान आवेदिका के नाम से कर दिया है लेकिन मकान की रजिस्ट्री अब तक नही हुई है। आवेदिका मानसिक समस्या के कारण अपनी स्थिति को व्यक्त नहीं कर पा रही है इसलिए आगामी सुनवाई में आवेदिका के परिवार से उसके भाई को बुलाया जायेगा ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सके।
दूसरे प्रकरण में आवेदिका एवं अनावेदक (पति) उपस्थित हुए। उनके दो बच्चे 19 वर्ष और 15 वर्ष के हैं। आवेदिका ने बताया कि अनावेदक (पति) का अन्य महिला से अवैध संबंध है जिसे अनावेदक (पति) ने आयोग के समक्ष स्वीकार किया। आवेदिका और अनावेदक पति-पत्नी हैं, उनका तलाक नहीं हुआ है और दूसरी महिला भी विवाहित है और उसका भी तलाक नहीं हुआ है। ऐसी दशा में अनावेदक के गलत आचरण से दो परिवार तहस-नहस हो रहे है और दोनों परिवार के कुल 6 बच्चों का जीवन बर्बाद हो रहा है। आवेदिका ने बताया कि अनावेदक (पति) किसी तरह से आवेदिका व बच्चों को भरण-पोषण नहीं देता है। साल में सिर्फ 1 दिन के लिए अपने परिवार से मिलने आता है। आगामी सुनवाई में अनावेदिका दूसरी पत्नी और उसके सभी अनावेदकगणों की उपस्थिति एसपी के माध्यम से कराये जाने का निर्देश दिया गया ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सके।
तीसरे प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक ने उससे 1 लाख रूपये नगद लिया था और 2018 में वापस करने के लिए लिखित इकरारनामा में हस्ताक्षर किया था, लेकिन आज दिनांक तक उसने रूपये वापस नहीं दिये है। आयोग की सुनवाई के दौरान अनावेदक ने यह स्वीकार किया कि वह आवेदिका को राशि वापस करेगा लेकिन आज अपने बयान से मुकर रहा है। इकरारनामा दिखाये जाने पर अनावेदक ने पुनः स्वीकार किया कि उसने यह एग्रीमेंट किया था, इससे यह स्पष्ट है कि अनावेदक ने आवेदिका को धोखा देने के उद्देश्य से 1 लाख रूपये लिये तथा आज दिनांक तक वापस नहीं किया है। अनावेदक ने आयोग के समक्ष अपनी गलती स्वीकार की। आयोग ने आवेदिका को यह निर्देश दिया कि वह उसके साथ हुए धोखाधड़ी व 1 लाख रूपये वसूली की राशि का दीवानी एवं अपराधिक मामला न्यायालय एवं थाने में दर्ज करवाएं। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।
चौथे प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक के शो रूम से उसने ई-रिक्शा खरीदा था, लेकिन उसकी बैटरी पुरानी थी, बैटरी खराब हो गई। आवेदिका इसकी शिकायत लेकर वापस शो-रूम गई लेकिन आवेदिका को ई-रिक्शा की नई बैटरी नहीं दिया गया। आवेदिका ने बताया कि लगभग 5 माह से ई-रिक्शा खडी है। गाड़ी की बैटरी खराब होने से उसका रोजगार ठप हो गया है। बैंक का ब्याज भी बढ़ रहा है। आवेदिका ने बताया कि बैटरी की गारंटी कार्ड में दूसरे का नाम लिखा है। जब गाड़ी आवेदिका की है तो उसमें दूसरे का नाम लिखा होना अनावेदक की गलत मानसिकता को दर्शाता है। अनावेदक लगातार बहाने बनाकर बचने का प्रयास कर रहा था, फिर अपनी गलती मानी और 1 माह में आवेदिका को नयी बैटरी व आरटीओ की राशि देना स्वीकार किया।
एक अन्य प्रकरण आवेदिका ने बताया की अनावेदक के द्वारा उसे डंडे से पीटा गया और छेडछाड़ कर गंदी गंदी गालिया दी गई, जिसकी शिकायत आवेदिका ने महिला आयोग में की। आवेदिका पेशे से पत्रकार है और उसे अनावेदक सीएसपी द्वारा पत्रकार शब्द हटाने के लिए धमकाया गया, चूकिं इस प्रकरण में अनावेदक पक्ष अनुपस्थित रहा इसलिए आयोग के द्वारा अनावेदक को उपस्थित करने के लिए पुलिस अधीक्षक रायपुर को पत्र भेजे जाने का निर्देश दिया गया, जिससे प्रकरण का निराकरण किया जा सके।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक (पति) ने आवेदिका से बिना तलाक लिये अन्य महिला को अपने साथ रखा है। जिसे अनावेदक ने स्वीकार किया और आयोग के समक्ष आवेदिका से कान पकड़कर माफी मांगी और साथ रहने की बात स्वीकार की। दूसरी महिला आवेदिका के पति के साथ अवैध रूप से रह रही थी। दूसरी महिला के पास रहने का कोई सुरक्षित स्थान नही है इसलिए आयोग द्वारा दूसरी महिला को सुरक्षा की दृष्टि से और सुधरने का मौका देकर 2 माह के लिए नारी निकेतन भेजने का आदेश दिया।