सीजी भास्कर 21 मार्च अवैध तरीके से अमेरिका पहुंचे भारतीयों को अमेरिका ने जिस तरह वापस देश भेजा, उसकी काफी आलोचना हुई. 5 फरवरी को ट्रंप प्रशासन ने 104 भारतीय नागरिकों को अपराधियों की तरह हाथ-पैर बांधकर भारत भेजा था. अब केंद्र सरकार ने अमेरिका के इस रवैये पर टिप्पणी की है. शुक्रवार को सरकार ने संसद में बताया कि भारत ने निर्वासित लोगों के साथ किए गए व्यवहार, खासकर महिलाओं के लिए बेड़ियों के इस्तेमाल को लेकर अमेरिकी अधिकारियों के समक्ष अपनी चिंताएं दृढ़ता से दर्ज कराई है.
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह भी कहा कि अमेरिका ने विदेश मंत्रालय को बताया कि 5, 15 और 16 फरवरी को अमेरिका से अवैध प्रवासियों को भारत लेकर आईं तीन विमानों के निर्वासितों से नहीं कहा गया था कि वो सिर को ढकने वाला धार्मिक आवरण (जैसे पगड़ी) हटा दें. अमेरिका ने विदेश मंत्रालय से यह भी कहा कि निर्वासित किए जा रहे भारतीयों ने शाकाहारी खाने के अनुरोध के अलावा फ्लाइट के दौरान किसी भी धार्मिक फैसिलिटी के लिए अनुरोध नहीं किया.विदेश मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा कि उसने निर्वासित लोगों की धार्मिकता और भोजन की रुचि को ध्यान में रखने की जरूरत को लेकर भी अमेरिका के सामने अपनी चिंता दर्ज की है.विदेश मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या सरकार ने अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) द्वारा भारतीय निर्वासितों को बेड़ियों में जकड़े जाने से संबंधित रिपोर्टों का संज्ञान लिया है, और क्या उसने भारतीय निर्वासितों के साथ किए गए व्यवहार को लेकर अमेरिका के सामने कोई औपचारिक राजनयिक आपत्ति दर्ज कराई है.जवाब में विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि विदेश मंत्रालय निर्वासन की कार्रवाई के दौरान निर्वासितों के साथ मानवीय व्यवहार को लेकर अमेरिका के संपर्क में है.
उन्होंने कहा, ‘मंत्रालय ने 5 फरवरी, 2025 को भारत पहुंचे फ्लाइट में निर्वासित लोगों के साथ किए गए व्यवहार, खासकर महिलाओं के लिए बेड़ियों के इस्तेमाल को लेकर अमेरिकी अधिकारियों के सामने अपनी चिंता दृढ़ता से दर्ज कराई है.’वायुसेना के विमान से अमेरिका ने निर्वासित किए थे अवैध भारतीय प्रवासीअमेरिका ने अमेरिकी वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान से 104 अवैध भारतीय अप्रवासियों के एक जत्थे को वापस भेजा था, जो 5 फरवरी को पंजाब के अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा था. यह अवैध अप्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की तरफ से भेजा गया भारतीयों का पहला जत्था था. लेकिन जिस तरीके से बेड़ियों में जकड़कर अमेरिका ने भारतीयों को भेजा उससे देश में आक्रोश देखा गया. इसके बाद 15 और 16 फरवरी को अवैध भारतीय प्रवासियों के दो और जत्थों को अमेरिका ने भारत भेजा.इससे पहले 6 फरवरी को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राज्यसभा में अपने बयान में कहा था कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका के साथ बातचीत कर रही है कि निर्वासित भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार न हो.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अवैध तरीके से विदेश जाने के लिए बनाए गए तंत्र पर कार्रवाई की जानी चाहिए.विदेश मंत्रालय से यह भी पूछा गया था कि क्या मंत्रालय को अमेरिका से वापस भारत भेजते समय निर्वासित भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार के संबंध में कोई शिकायत मिली है?इस सवाल के जवाब में विदेश राज्य मंत्री ने कहा, ‘नवम्बर 2012 से प्रभावी निर्वासन को मैनेज करने के लिए अमेरिका के मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) में निर्वासितों पर प्रतिबंध के इस्तेमाल की बात कही गई है. अमेरिकी अधिकारियों ने बताया है कि मिशन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निर्वासित किए जा रहे लोगों पर कुछ प्रतिबंध लगाए जाते हैं.
हालांकि, महिलाओं और नाबालिगों को आम तौर पर बेड़ियां नहीं लगाई जाती हैं, लेकिन निर्वासन उड़ान के प्रभारी उड़ान अधिकारी का इस मामले में अंतिम फैसला होता है.’उन्होंने आगे कहा, ‘अमेरिकी पक्ष ने पुष्टि की है कि 15 और 16 फरवरी, 2025 को भारत में उतरने वाली निर्वासन फ्लाइट्स में किसी भी महिला या बच्चे को बेड़ियां नहीं लगाई गई थीं. भारत पहुंचने पर निर्वासितों के इंटरव्यू के बाद हमारी एजेंसियों ने भी इसकी पुष्टि की है.’