सीजी भास्कर, 27 अगस्त। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के नेतृत्व को लेकर पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता रविंद्र चौबे के कथित असंतोष के संकेत देने वाले बयान ने पार्टी के भीतर (Congress Leadership Controversy) सियासी तापमान बढ़ा दिया था।
इस बयान के बाद पार्टी में गुटबाजी और असंतोष की चर्चाएं तेज हो गईं, जिससे राजनीतिक हलकों में विभिन्न अटकलें चल रही थीं।
हालांकि, बैज द्वारा शीर्ष नेतृत्व से मामले की शिकायत के संकेत मिलने के बाद चौबे ने स्पष्ट किया कि उनका और पार्टी का समर्थन बैज के नेतृत्व पर पूरी तरह से है।
पूर्व मंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनके बयान को लेकर जो चर्चाएं हैं, वे वास्तविकता से परे हैं। उन्होंने बताया कि भूपेश बघेल के जन्मदिन पर शुभकामनाएं देने के दौरान उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव का उल्लेख किया था।
उस समय कलेक्टिव लीडरशिप में चुनाव लड़ा गया था। पहले तीन नेताओं के मार्गदर्शन में चुनाव लड़ा गया, अब पांच नेताओं—दीपक बैज, भूपेश बघेल, चरणदास महंत, टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू—के मार्गदर्शन में पार्टी आगे बढ़ रही है।
चौबे ने कहा कि सभी मिलकर बैज का हाथ मजबूत करेंगे और पार्टी की एकजुटता बनाए रखेंगे।
इससे पहले दीपक बैज ने प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में मीडिया से बातचीत में कहा कि पार्टी से बड़ा कोई व्यक्ति नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह के बयान नहीं आने चाहिए।
रविंद्र चौबे के मामले में पार्टी अपने स्तर पर विचार कर उचित निर्णय लेगी। राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कलेक्टिव लीडरशिप के साथ प्रदेश में सत्ता की लड़ाई लड़ने की बात कही थी।
चौबे के बयान को शीर्ष नेतृत्व तक शिकायत के संकेत के रूप में देखा गया। बैज ने सोमवार को चौबे को महाज्ञानी बताते हुए उनके विचार को निजी माना।
पूर्व मंत्री चौबे ने राजधानी में सार्वजनिक मंच से भी भूपेश बघेल को कांग्रेस का उपयुक्त नेता बताया और कहा कि नेतृत्व की कमान उन्हें सौंपनी चाहिए।
उन्होंने याद दिलाया कि 2013 से 2018 के बीच कांग्रेसियों की एकजुटता से भाजपा की 15 साल की सत्ता समाप्त की गई थी। चौबे ने कहा कि भविष्य में भी यही संघर्ष जारी रहेगा और राहुल गांधी को मजबूती प्रदान करनी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि (Congress Leadership Controversy) के बाद पार्टी में स्पष्ट संदेश गया है कि सभी नेता बैज के नेतृत्व के समर्थन में हैं और कलेक्टिव लीडरशिप के तहत आगामी चुनावी रणनीतियों को एकजुट होकर लागू किया जाएगा।