सीजी भास्कर, 7 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ के चर्चित कस्टम मिलिंग घोटाले में ईओडब्ल्यू ने बड़ा खुलासा किया है। सोमवार को विशेष अदालत में पेश किए गए 1,500 पन्नों के पूरक चालान में सेवानिवृत्त आईएएस अनिल टुटेजा और कारोबारी अनवर ढेबर का नाम मुख्य रूप से शामिल है। जांच एजेंसी का दावा है कि अनिल टुटेजा ने (Custom Milling Scam) को षड्यंत्रपूर्वक अंजाम देने में बड़ी भूमिका निभाई।
पूरक चालान के अनुसार, राइस मिलरों से करीब 20 करोड़ रुपये की अवैध वसूली हुई। मार्कफेड अधिकारियों पर दबाव डालकर बिलों का भुगतान रोका जाता था और मजबूरन मिलरों को 20 रुपये प्रति क्विंटल की दर से रकम देनी पड़ती थी। इससे पहले फरवरी 2025 में ईओडब्ल्यू ने राइस मिल एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर और मार्कफेड के पूर्व एमडी मनोज सोनी पर भी केस दर्ज किया था।
अनवर ढेबर की भूमिका भी बेहद अहम बताई गई है। पूर्व कांग्रेस सरकार में प्रभावशाली रहे अनवर न सिर्फ शराब घोटाले में, बल्कि पीडब्ल्यूडी और वन विभाग के कामों पर भी पकड़ बनाए हुए थे। (Custom Milling Scam) की अवैध कमाई का संग्रहण और निवेश उन्होंने टुटेजा के लिए किया।
जनवरी 2024 से शुरू हुई थी कार्रवाई
29 जनवरी 2024 को दर्ज एफआईआर में रोशन चंद्राकर, मनोज सोनी, अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, सिद्धार्थ सिंघानिया और कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल समेत कई नाम सामने आए। ईओडब्ल्यू की जांच में साफ हुआ कि राइस मिलरों से 140 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध वसूली हुई। इस पूरे खेल में अधिकारी, मिलर्स एसोसिएशन और राजनीतिक रसूख वाले लोग शामिल थे। यह (Custom Milling Scam) अब तक की सबसे बड़ी फाइनेंशियल अनियमितताओं में से एक माना जा रहा है।