सीजी भास्कर 17 नवम्बर Delhi Blast Investigation: हिरासतों की बढ़ती संख्या पर उठा राजनीतिक तूफान
दिल्ली ब्लास्ट के बाद जांच तेज़ हुई तो देशभर में छापेमारी के दौरान करीब 1500 कश्मीरी युवाओं को हिरासत में लिया गया। इस लगातार बढ़ती कार्रवाई ने घाटी में एक अजीब-सी घबराहट पैदा कर दी है। कई परिवारों को अपने परिजनों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही, और इसी माहौल ने राजनीतिक मोर्चे पर भी हलचल बढ़ा दी है।
महबूबा मुफ्ती ने कहा—कश्मीर शांत बताया, लेकिन विस्फोट की गूंज दिल्ली तक
PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने सरकार की सुरक्षा नीतियों पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “दुनिया को बताया गया कि कश्मीर पूरी तरह शांत है, मगर हालात कुछ और ही कहानी कहते हैं। कश्मीर की तकलीफें लाल किले के बिल्कुल सामने सुनाई दे रही हैं। आपने जम्मू-कश्मीर को सुरक्षित बनाने का वादा किया था, लेकिन नीतियों ने उल्टा दिल्ली को असुरक्षित बना दिया है।”
उन्होंने आगे कहा कि उन्हें नहीं पता कि “सत्ता में बैठे कितने लोग सच में राष्ट्रहित को समझते हैं।”
Delhi Blast Investigation: पिता ने बेटे से न मिलने की पीड़ा में उठाया खौफनाक कदम
हिरासत से जुड़े तनाव का एक दर्दनाक मामला तब सामने आया, जब वानपोरा काजीगुंड के बिलाल वानी ने अपने बेटे जसीर बिलाल और भाई नवील वानी को निरंतर हिरासत में रखने और उनसे मिलने की अनुमति न दिए जाने पर खुद को आग लगा ली।
महबूबा मुफ्ती ने इस घटना पर कहा कि यह “कस्टोडियल डिस्ट्रेस (Custodial Distress Kashmir)” का सबसे दुखद उदाहरण है। बिलाल को गंभीर हालत में श्रीनगर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उन्होंने पुलिस से अपील की कि कम-से-कम परिवार को मुलाकात की अनुमति दी जाए।
जांच में सामने आ रहे नए सुराग
Red Fort Blast Update के मुताबिक, ब्लास्ट में 13 लोग मारे गए थे और अब जांच एक निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है। राष्ट्रीय स्तर की एजेंसी ने इस मामले में कथित मुख्य साजिशकर्ता को गिरफ्तार किया है।
रविवार को पहली बार कार चालक उमर को “आत्मघाती हमलावर” के तौर पर वर्णित किया गया, जिससे पूरे केस की दिशा और भी संवेदनशील हो गई है। जांच टीमों का दावा है कि जल्द ही इस साजिश की कड़ियां पूरी तरह स्पष्ट हो जाएंगी।
आरोप-प्रत्यारोप के बीच जनता में चिंता
Political reactions के बीच आम नागरिकों में यह सवाल लगातार तैर रहा है कि सुरक्षा में चूक कहां हुई और ब्लास्ट जैसा हमला आखिर राजधानी तक कैसे पहुंच गया। जबकि सरकार बार-बार आश्वस्त कर रही है कि साजिश को पूरी तरह बेनकाब किया जाएगा, वहीं विपक्ष इस घटना को सुरक्षा व्यवस्था की विफलता के रूप में देख रहा है।
