सीजी भास्कर, 15 अप्रैल। जब एक मां की आंखों में नींद नहीं थी और एक पिता हर फोन कॉल पर बेटी की आवाज़ सुनने को तरस रहा था, उसी समय दिल्ली की सड़कों पर एक पुलिस टीम उस गुमनाम चेहरे को खोज रही थी, जो एक पूरा घर उजाड़ चुकी थी।
लेकिन दिल्ली पुलिस ने फिर साबित किया कि वह सिर्फ कानून की रखवाली नहीं करती, बल्कि इंसानियत की उम्मीद भी है।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से एक नाबालिग लड़की अचानक लापता हो गई थी. कोटा थाने में मामला दर्ज हुआ धारा 137(2) BNS के तहत अपहरण/गुमशुदगी की रिपोर्ट. लेकिन जब तकनीकी लोकेशन ने बताया कि वह लड़की दिल्ली के सरोजनी नगर इलाके में है, तो मामला दिल्ली पुलिस की जिम्मेदारी बन गया।
दिल्ली पुलिस ने बनाई रणनीति
11 अप्रैल 2025 की सुबह सूचना मिलते ही सरोजिनी नगर थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर अतुल त्यागी ने एक टीम गठित की. लक्ष्य था लड़की को किसी भी कीमत पर ढूंढ निकालना।
तकनीकी सर्विलांस, सीसीटीवी की कड़ी निगरानी और बेहतरीन तालमेल के जरिए टीम ने कुछ ही घंटों में उस लड़की को खोज लिया. जब लड़की मिली, तो वह सहमी हुई थी, लेकिन सुरक्षित थी। पूछताछ में सामने आया कि उसने परिवार से नाराज़ होकर घर छोड़ा था।
दिल्ली पुलिस ने माता पिता को दी सूचना
दिल्ली पुलिस ने उसे मेडिकल जांच के बाद वन स्टॉप सेंटर में रखा. फिर, छत्तीसगढ़ से दिल्ली पहुंचे माता-पिता की आंखें तब छलक उठीं, जब उन्होंने अपनी बेटी को सामने खड़ा पाया। कानूनी औपचारिकताओं के बाद, पुलिस ने बच्ची को माता-पिता और छत्तीसगढ़ पुलिस की उपस्थिति में सौंप दिया।
ऑपरेशन मिलाप रिश्तों की डोर को फिर से जोड़ने का प्रयास
ऑपरेशन मिलाप के जरिए दिल्ली पुलिस अब तक कई परिवारों को उनके गुमशुदा बच्चों से मिलवा चुकी है।
यह सिर्फ एक पुलिस अभियान नहीं बल्कि उन रिश्तों की डोर को फिर से जोड़ने की कोशिश है जो वक्त की कठिनाइयों में उलझ जाती है।