सीजी भास्कर, 18 अक्टूबर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (Digital Registry Reform) की पहल और वित्त एवं पंजीयन मंत्री ओ.पी. चौधरी के निर्देश पर छत्तीसगढ़ पंजीयन विभाग ने एक महत्वपूर्ण जनहितैषी निर्णय लेते हुए कृषि भूमि की खरीदी-बिक्री (रजिस्ट्री) के लिए ऋण पुस्तिका (किसान किताब) प्रस्तुत करने की अनिवार्यता समाप्त कर दी है।
यह बड़ा सुधार (Digital Registry Reform) किसानों और आम नागरिकों दोनों के लिए राहत लेकर आया है। अब रजिस्ट्री की प्रक्रिया और अधिक सरल, पारदर्शी और भ्रष्टाचार-मुक्त होगी। यह निर्णय दिवाली पर प्रदेशवासियों के लिए शासन की ओर से एक ऐतिहासिक सौगात है।
किसानों और नागरिकों को रजिस्ट्री से जुड़ी जटिलताओं से राहत दिलाने हेतु राज्य शासन ने ऑटो म्यूटेशन प्रणाली में सुधार करते हुए ऋण पुस्तिका की अनिवार्यता समाप्त कर दी है, जिससे पूरी प्रक्रिया अब और अधिक सरल, पारदर्शी और त्वरित हो गई है। यह पहल प्रशासनिक दक्षता और नागरिक सुविधा दोनों के दृष्टिकोण से (Digital Registry Reform) की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम मानी जा रही है।
तकनीकी समन्वय और समाधान : डिजिटल इंटीग्रेशन से पारदर्शिता
राजस्व विभाग के ऑनलाइन रिकॉर्ड अब पंजीयन सॉफ्टवेयर से पूर्ण रूप से एकीकृत हो चुके हैं। अब रजिस्ट्री के लिए आवश्यक सभी डेटा, दस्तावेज़ और सत्यापन जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है। राज्य शासन ने पंजीयन प्रक्रिया को 100 प्रतिशत डिजिटल सत्यापन प्रणाली में परिवर्तित कर दिया है, जिससे किसी भी स्तर पर मानवीय हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं रहेगी।
यह तकनीकी समन्वय पंजीयन विभाग की (Digital Registry Reform) की पारदर्शी और त्वरित व्यवस्था को मजबूत बनाता है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार “सरल शासन सुशासन” की दिशा में लगातार नवाचार कर रही है। पंजीयन विभाग की यह पहल उसी श्रृंखला का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य नागरिकों को सुविधाजनक, पारदर्शी और समयबद्ध सेवा प्रदान करना है।
ऋण पुस्तिका की अनिवार्यता समाप्त करना न केवल प्रक्रिया को सरल बनाता है बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही और जनविश्वास को भी सशक्त बनाता है।
इस निर्णय से अब नागरिकों को अनावश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की बाध्यता से मुक्ति मिलेगी। रजिस्ट्री प्रक्रिया में समय और धन दोनों की उल्लेखनीय बचत होगी तथा दफ्तरों, पटवारी और तहसील कार्यालयों के चक्कर लगाने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।
इससे न केवल भ्रष्टाचार की संभावनाओं पर पूर्ण विराम लगेगा, बल्कि पंजीयन प्रणाली और अधिक पारदर्शी, त्वरित तथा जवाबदेह बनेगी, जो सुशासन और नागरिक सुविधा की दिशा में एक बड़ा कदम है।
राज्य सरकार ने इस निर्णय के माध्यम से यह स्पष्ट संदेश दिया है कि शासन केवल एक व्यवस्था नहीं, बल्कि अपने नागरिकों के जीवन और उत्सवों में सहभागी एक आत्मीय परिवार है। यह कदम पंजीयन व्यवस्था में सुधार का प्रतीक ही नहीं, बल्कि दिवाली पर सुशासन और पारदर्शिता की नई रोशनी भी है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा
“प्रदेश सरकार का उद्देश्य प्रत्येक नागरिक को सरल, पारदर्शी और त्वरित सेवाएँ प्रदान करना है। कृषि भूमि की रजिस्ट्री के लिए ऋण पुस्तिका की अनिवार्यता समाप्त करना इसी दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह निर्णय किसानों और आम नागरिकों दोनों के लिए राहतकारी सिद्ध होगा तथा पंजीयन प्रक्रिया को पूर्णतः डिजिटल, भ्रष्टाचार-मुक्त और जवाबदेह बनाएगा।
शासन केवल व्यवस्था नहीं, बल्कि नागरिकों के जीवन और उत्सवों में सहभागी एक आत्मीय परिवार है। दिवाली के अवसर पर यह निर्णय जनता के प्रति इसी आत्मीयता और सुशासन की भावना का प्रतीक है।”
वित्त एवं पंजीयन मंत्री ओ.पी. चौधरी
ने कहा शासन की प्राथमिकता जनता के लिए प्रशासनिक प्रक्रियाओं को अधिक सरल, त्वरित और पारदर्शी बनाना है। कृषि भूमि की रजिस्ट्री में ऋण पुस्तिका की अनिवार्यता समाप्त करना इसी दिशा में एक ऐतिहासिक सुधार है। राज्य सरकार ने तकनीकी एकीकरण और डिजिटल सत्यापन के माध्यम से पंजीयन प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन बना दिया है, जिससे अब न केवल समय और धन की बचत होगी बल्कि भ्रष्टाचार की संभावनाएँ भी समाप्त होंगी। यह निर्णय किसानों और आम नागरिकों दोनों के लिए राहत देने वाला है और यह दर्शाता है कि सरकार सुशासन को व्यवहार में उतारने के लिए निरंतर ठोस कदम उठा रही है।”