सीजी भास्कर, 27 सितंबर। राज्य सरकार ने हाल ही में Disaster Management Chhattisgarh 2025 रिपोर्ट जारी की है। इसमें प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, आकाशीय बिजली गिरना और मानव-निर्मित खतरे जैसे पटाखा विस्फोट, चिमनी फटना, खदान धंसना शामिल किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, रायपुर, दुर्ग, बस्तर समेत 17 जिले हाई रिस्क (High Risk Zones) में हैं, जबकि 9 जिले कम खतरे वाले (Low Risk Zones) में रखे गए हैं।
हाई और लो रिस्क जिलों की सूची
High Risk Zones: रायगढ़, रायपुर, दुर्ग, जांजगीर-चांपा, जशपुर, धमतरी, सुकमा, दंतेवाड़ा, मुंगेली, कबीरधाम, सूरजपुर, सरगुजा, नारायणपुर, बस्तर, बीजापुर।
Low Risk Zones: कोरिया, बलरामपुर, जशपुर, कोरबा, मारवाही, महासमुंद, धमतरी, कांकेर, कोंडागांव।
पिछले दो दशक की आपदा घटनाएँ
रिपोर्ट में उल्लेख है कि छत्तीसगढ़ ने पिछले 20 वर्षों में सूखा, बाढ़, बिजली गिरने, सर्पदंश, कोविड, चक्रवाती तूफान, लू, डेंगू, मलेरिया और मानव निर्मित खतरों का सामना किया है। विशेष रूप से पटाखा और चिमनी विस्फोट से कई इलाकों में संपत्ति और फसल की भारी हानि हुई। हाल ही में बस्तर में बाढ़ से तबाही हुई और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने हालात का जायजा लिया।
राहत और बचाव व्यवस्था Disaster Management Chhattisgarh 2025
प्रदेश में State Disaster Response Force (SDRF) की सात टीमें तैनात हैं। पाँच टीमें रायपुर, बिलासपुर, सरगुजा, दुर्ग और बस्तर संभाग मुख्यालय में हैं। शेष दो टीमें रायपुर और बिलासपुर में ट्रेनिंग सेंटर में रखी गई हैं। सचिव, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग, रीना बाबा साहेब कंगाले ने कहा, “जिलों को NDMA के साथ समन्वय बनाकर काम करना होगा, ताकि आपदा का प्रभाव कम किया जा सके।”
प्राकृतिक आपदा का मुख्य कारण
विशेषज्ञों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा खतरा आकाशीय बिजली गिरने और निचले इलाकों में बाढ़ से है। राज्य प्रशासन ने हाई रिस्क जिलों में निगरानी बढ़ाने और आपातकालीन राहत योजनाओं को अपडेट करने के निर्देश दिए हैं।
ऐतिहासिक डेटा: छत्तीसगढ़ की बड़ी आपदाएं
2020: कोविड-19 महामारी में 3565 लोगों की मौत, 6 जिलों में बाढ़ से 35 मृतक और 24,369 मकान ध्वस्त।
2002-2008: सूखा और बाढ़ से हजारों गांव प्रभावित।
2014-2018: चक्रवाती तूफान, भारी बारिश, बाढ़, डेंगू और मलेरिया से जनहानि।