सीजी भास्कर, 03 जनवरी। छत्तीसगढ़ में जहां भारतीय जनता पार्टी संगठन पर्व में जिलाध्यक्षों का चयन लगभग फायनल होने वाला है वहीं प्रदेश अध्यक्ष के लिए हाईकमान संगठन ने प्रभारी भी नियुक्त कर दिया है। पूरे छत्तीसगढ़ में भाजपा के सदस्यता अभियान ने ऐतिहासिक रिकार्ड बनाया और फिर सक्रिय सदस्यों से सलाह मशविरे बाद मंडल अध्यक्ष घोषित किए गए। कुछेक मंडल में जहां अब भी अध्यक्ष घोषित नहीं हुए हैं वहीं जिलाध्यक्ष बनाए जाने के लिए तय तारीख भी नजदीक आते देख साल के अंतिम दिनों और नववर्ष के बीते 2 दिन जबरदस्त मंथन जारी है। अब भिलाई सहित कुछ जिलों के लिफाफे 5 जनवरी को संबंधित जिला कार्यालय में चुनाव प्रभारी की उपस्थिति में खोले जाएंगे। शेष जिलों का लिफाफा 6 जनवरी को खोला जाएगा। कुल मिलाकर यह तय है कि 6 जनवरी तक अधिकांश जिलों को भाजपा का नया अध्यक्ष मिल जाएगा।
छत्तीसगढ़ में जिलाध्यक्ष की घोषणा को लेकर संगठन लगभग तैयार हो चुका है। रायपुर के बाद भिलाई और राजनांदगांव में अलग अलग पैनल से आए नाम और उम्मीदवार के बायो डाटा पर मंथन पश्चात पैनल दिल्ली भेज दिया गया और वहां से तय एक-एक नाम लिफाफे में कैद भी किया जा चुका है। आपको बता दें कि जहां भिलाई में जिलाध्यक्ष के लिए वर्तमान अध्यक्ष महेश वर्मा को पुनः जिले की कमान सौंपने पर चर्चा हुई वहीं दो बार जिला उपाध्यक्ष पुरूषोत्तम देवांगन और नटवर ताम्रकार सहित सात नाम सूची में थे जिन पर मंथन बाद तीन नाम दिल्ली भेजा गया और उसमें से एक नाम तय होकर बंद लिफाफे में अपनी घोषणा का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। वो नाम कौन सा है, यह तो समय के गर्भ में ही छिपा है। भिलाई के 13 मंडल में से कोहका को छोड़ कर सभी मंडल अध्यक्ष घोषित हो चुके हैं।
बात राजनांदगांव की करें तो यहां भी भिलाई की तरह ही जिलाध्यक्ष को लेकर पेंच फंस गया था। यहां 16 मंडल में अध्यक्ष बनाए जा चुके हैं परंतु जिलाध्यक्ष को लेकर तीन लोगों का यहां भी पेंच उलझ गया था नतीजतन तीन नाम दिल्ली भेजे जा चुके हैं। जानकारी के अनुसार जिला भाजपा अध्यक्ष को लेकर जिन प्रमुख नाम में चर्चा हो रही है उनमें सौरभ कोठारी, कोमल सिंह राजपूत और रविंद्र वैष्णव का नाम शामिल हैं।
भाजपा वरिष्ठों ने जिलाध्यक्ष के नाम पर फंसे पेंच पर सीधे कुछ भी नहीं बोला है मगर बिना कहे यह बात छन कर आती है कि यह भाजपा है, जब पेंच फंसता है तो ऐसे नाम अचानक सामने आता है जिसको लेकर चर्चा ही नहीं थी। प्रदेश संगठन और राष्ट्रीय पदाधिकारियों के पास हर फंसे पेंच को सुलझाने का सटीक और रामबाण तरीका भी है, इसलिए कयास और अटकलें भले किसी भी तरफ अपना रूख मोड़ लें मगर नाम तो दिल्ली से तय हो गया है और घोषणा बाद सभी को मान्य भी होगा। बहरहाल 5 और 6 जनवरी के बीच जिलाध्यक्ष के नाम की घोषणा होना फिलहाल तय है इसलिए सभी की निगाहें घोषणा के ही इंतजार में टकटकी लगाए दिखाई पड़ रही हैं।