सीजी भास्कर, 28 जुलाई : चेन्नई उत्तर जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक अस्पताल और डाक्टर को गैंग्रीन के कारण नवजात शिशु की पांचों अंगुलियां काटे जाने के मामले में 10 लाख रुपये का मुआवजा देने के अलावा इलाज पर खर्च हुए 23.65 लाख रुपये की भरपाई करने का आदेश दिया है। आयोग ने हाल में अपने फैसले में अस्पताल और स्त्री रोग विशेषज्ञ को लापरवाही का दोषी माना और उन्हें कुल मुआवजा राशि के साथ ही मुकदमे की लागत के रूप में 10 हजार रुपये देने का भी निर्देश दिया है।
आयोग ने कहा कि अस्पताल और डाक्टर यह समझाने में विफल रहे कि इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक सहमति को नजरअंदाज क्यों किया गया। ऐसी जानकारी है कि सर्वाइकल पेसेरी प्रक्रिया के कारण बच्चे का समय पूर्व जन्म हुआ। इस प्रक्रिया के कारण बच्चे को गैंग्रीन हो गया और आयोग ने कहा कि यह प्रक्रिया बिना किसी परीक्षण या आपातकालीन आवश्यकता के की गई।
इसके कारण 24 सप्ताह की गर्भवती महिला का समय पूर्व प्रसव कराना पड़ा। बच्चे की मां का इसी अस्पताल में उपचार चल रहा था और जब यह प्रक्रिया की गयी तो वह 22 सप्ताह की गर्भवती थी। आयोग ने कहा कि प्रसव के बाद नवजात को गहन चिकित्सा इकाई में ले जाया गया, जहां उसमें गैंग्रीन के शुरुआती लक्षण दिखायी दिए। इसके कारण उसके दाहिने हाथ की सभी पांचों अंगुलियां काटनी पड़ीं।