सीजी भास्कर, 19 नवंबर | Dowry Harassment Case: शादी के 9 महीने बाद बिगड़े रिश्ते
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में रिसाली नगर निगम की महापौर शशि सिन्हा की बेटी अल्का साहसी ने अपने पति और ससुराल पक्ष के खिलाफ Dowry Harassment Case दर्ज कराया है। अल्का का कहना है कि शादी के कुछ दिनों के भीतर ही दहेज को लेकर लगातार दबाव, ताने और अपमान की शुरुआत हो गई, जिसने धीरे-धीरे हालात को असहनीय बना दिया।
Dowry Harassment Case: ‘फॉर्च्यूनर चाहिए थी’—शादी के समय ही उठी मांग
शिकायत में दर्ज बयान के अनुसार, शादी के दौरान ही ससुराल पक्ष ने उनके माता-पिता को अलग बुलाकर कहा था कि “महापौर की बेटी है, इसलिए फॉर्च्यूनर कार देना चाहिए था।”
अल्का का आरोप है कि कार नहीं देने की बात का बहाना बनाकर ससुराल पक्ष ने उन्हें लगातार मानसिक और भावनात्मक दबाव में रखा।
Dowry Harassment Case: तीसरे दिन से शुरू हुई प्रताड़ना—नगरनार आवास में अपमान
अल्का के अनुसार, शादी के तीसरे दिन ही उनके पति चित्रांश साहसी जगदलपुर के नगरनार स्थित विभागीय आवास में ले गए, जहां से प्रताड़ना की शुरुआत हुई।
उन्होंने बताया कि पति उनके हाथ का खाना नहीं खाते थे, मामूली बातों पर ‘नुक्स’ निकालते थे और उन्हें अपमानित करते थे। इसके साथ ही उनके चरित्र पर संदेह जताते हुए हर गतिविधि पर निगरानी रखी जाती थी।
‘डायन’ कहकर बुलाया, बात करने तक की आज़ादी नहीं थी
अल्का ने बताया कि उन पर कई बार ऊल-जलूल आरोप लगाए गए, उन्हें ‘डायन’ तक कहा गया और घरवालों से बात करने पर रोक लगा दी गई।
उनका कहना है कि छोटी-छोटी बात पर गाली-गलौज होती थी और कई बार मारपीट भी हुई। आरोप में यह भी कहा गया है कि उन्हें छत से धक्का देने की धमकी तक दी गई थी।
फॉर्च्यूनर नहीं देने का आरोप दोहराया—रिसेप्शन में भी विवाद हुआ
23 जनवरी 2025 को भिलाई के होटल में हुए रिसेप्शन के दौरान भी ससुराल पक्ष ने कार की मांग दोहराई।
अल्का के मुताबिक, उनके पति कहते थे—“तुम्हारे घर की हैसियत BMW देने की है, पर फॉर्च्यूनर तक नहीं दी।”
(BMW vs Fortuner Demand)
यह व्यवहार उन्हें लगातार तोड़ता गया, लेकिन वह पति के भरोसे रिश्ते को बचाने की कोशिश करती रहीं।
जबर्दस्ती हस्ताक्षर, तलाक की तैयारी—26 जनवरी की घटना
अल्का ने बताया कि 26 जनवरी 2025 को पति ने कहा कि अब साथ रहना संभव नहीं है और दबाव डालकर खाली कागज़ों पर हस्ताक्षर करवा लिए।
बाद में उन्होंने पता लगाया कि पति पहले ही एक वकील से मिल चुका था और तलाक की तैयारी कर रहा था।
4 मार्च को घर से निकाल दिया, स्त्रीधन तक नहीं लौटाया
4 मार्च 2025 को उन्हें जगदलपुर स्थित आवास से निकाल दिया गया।
अल्का के मुताबिक, उनका सोने-चांदी का स्त्रीधन, नकद और शादी में मिला घरेलू सामान ससुराल वालों ने लौटाने से साफ मना कर दिया और कहा—“दहेज नहीं दिया, इसलिए लड़की को नहीं रखेंगे।”
मायके में रहने लगीं, पर सामाजिक बातचीत भी बेअसर
अल्का बताती हैं कि उनके पिता जब रिश्तेदारों के साथ ससुराल पहुंचे तो उन्हें अंदर तक नहीं जाने दिया गया।
आरोप है कि ससुराल पक्ष ने अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते हुए साफ कहा—“दहेज की मांग पूरी नहीं हुई, इसलिए लड़की को किसी हाल में नहीं रखेंगे।”
काउंसलिंग के चार राउंड भी विफल—समझौते की कोई संभावना नहीं दिखी
अल्का ने 8 अक्टूबर 2025 को महिला थाना में आवेदन दिया।
14 अक्टूबर, 28 अक्टूबर, 4 नवंबर और 11 नवंबर को काउंसलिंग हुई, लेकिन ससुराल पक्ष के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया।
पुलिस ने पति और ससुराल पक्ष के 5 सदस्यों पर दर्ज किया मामला
भिलाई के महिला थाने ने प्रारंभिक जांच के बाद अल्का के आरोपों को सही पाया।
पुलिस ने पति चित्रांश साहसी, सास शशि साहसी, ससुर ललित साहसी, फूफा ससुर डेरहाराम और चाचा ससुर संदीप साहसी पर दहेज प्रताड़ना, मारपीट, धमकी और स्त्रीधन रोकने के आरोप में प्रकरण दर्ज कर लिया है।
जांच अधिकारी के मुताबिक, अब आगे की विवेचना बैंक डिटेल, मोबाइल डेटा और अल्का के मेडिकल रिकॉर्ड के आधार पर की जाएगी।
