Durg Court Verdict : 3 साल बाद आया फैसला, अदालत ने स्पष्ट किया जनादेश वैध
सीजी भास्कर, 17 अक्टूबर | Durg Court Verdict : छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में लंबे समय से चल रहा चुनावी विवाद आखिरकार सुलझ गया।
जिला न्यायालय ने भाजपा प्रत्याशियों की याचिका खारिज करते हुए कहा कि वर्ष 2021 के भिलाई नगर निगम चुनाव परिणाम पूरी तरह वैध हैं।
इस फैसले के बाद वार्ड क्रमांक 56 की पार्षद साधना सिंह और वार्ड 64 के पार्षद अभय सोनी अपने पद पर बने रहेंगे।
अदालत ने साथ ही रिकाउंटिंग की मांग को भी अस्वीकार कर दिया।
नगरीय निकाय चुनाव से जुड़ा था मामला
( Bhilai Nagar Election Dispute )
यह विवाद वर्ष 2021 के निकाय चुनाव से संबंधित था, जब दोनों वार्डों में बेहद करीबी मुकाबला (close contest) देखने को मिला था।
वार्ड 56 में कांग्रेस की साधना सिंह ने केवल एक वोट से जीत दर्ज की थी, जबकि वार्ड 64 में अभय सोनी ने पांच वोटों के अंतर से भाजपा प्रत्याशी को हराया था।
इस मामूली अंतर के बाद भाजपा प्रत्याशी जे. ललिता और उपासना साहू ने मतगणना में अनियमितता का आरोप लगाते हुए चुनाव परिणाम को चुनौती दी थी।
उन्होंने न्यायालय से मतों की पुनर्गणना (recounting) और निर्वाचन को अमान्य घोषित करने की मांग की थी।
कोर्ट ने कहा – आरोप नहीं, सबूत चाहिए
(Election Recounting Case )
16 अक्टूबर को सुनाए गए फैसले में अदालत ने साफ कहा कि रिकाउंटिंग का आदेश केवल ठोस साक्ष्य (strong evidence) मिलने पर ही दिया जा सकता है।
केवल आरोपों के आधार पर चुनाव परिणाम पर प्रश्नचिह्न नहीं लगाया जा सकता।
न्यायालय ने पाया कि भाजपा प्रत्याशियों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ों में ऐसा कोई ठोस प्रमाण मौजूद नहीं था, जिससे मतगणना प्रक्रिया पर संदेह हो।
अदालत ने कहा कि जनता का जनादेश सर्वोपरि (public mandate supreme) है और उसे बिना कारण खारिज नहीं किया जा सकता।
कांग्रेस में जश्न, पारदर्शिता की जीत बताई
( Focus Keyphrase: Durg Election Result )
अदालत के फैसले के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई।
पार्टी नेताओं ने इसे जनता के विश्वास और पारदर्शी लोकतांत्रिक प्रक्रिया की जीत बताया।
भिलाई नगर क्षेत्र में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मिठाई बांटकर एक-दूसरे को बधाई दी और कहा कि
“यह फैसला साबित करता है कि लोकतंत्र में सच्चाई और सब्र दोनों की जीत होती है।”
तीन साल पुराने विवाद पर लगी विराम की मुहर
इस निर्णय के साथ तीन साल से चल रहा विवाद अब कानूनी रूप से समाप्त हो गया है।
कोर्ट के आदेश के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि साधना सिंह और अभय सोनी अपने पार्षद पद पर बने रहेंगे,
और अब किसी भी प्रकार की रिकाउंटिंग या निर्वाचन रद्द करने की प्रक्रिया नहीं होगी।
यह फैसला भविष्य में ऐसे विवादों के लिए एक मिसाल (legal precedent) माना जा रहा है।
जनादेश की इज्जत और न्याय का सटीक उदाहरण
दुर्ग कोर्ट का यह आदेश इस बात का संकेत है कि न्यायालय जनता के फैसले में हस्तक्षेप तभी करता है,
जब ठोस प्रमाण हों।
यह निर्णय न केवल साधना सिंह और अभय सोनी के लिए राहत भरा है, बल्कि उन सभी जनप्रतिनिधियों के लिए भी एक सकारात्मक संदेश (positive message) है,
जो जनता के विश्वास से चुने गए हैं।