सीजी भास्कर, 26 जून। विश्व स्वास्थ्य संगठन भारत द्वारा छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले को पहली हैंडी फंडोस्कोपी मशीन मिली है। अब दुर्ग जिले में डायबिटिक रेटिनोपैथी कार्यक्रम के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग (MoHFW), राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केन्द्र (NHSRC), विश्व स्वास्थ्य संगठन भारत (WHO इंडिया) और राज्य/जिला NCD और NPCB-VI (अधत्व विभाग) सेल के सहयोग से जिला दुर्ग में मधुमेह जटिलता जांच शुरू की गई है।
आपको बता दें कि इस कार्यान्वयन अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत, SC-AAM स्तर पर ब्लॉक धमधा में मधुमेह रेटिनोपैथी जांच प्रारंभ है। जिसके लिए WHO इंडिया ने नेत्र सहायक अधिकारी द्वारा मधुमेह रोगियों की क्षेत्र स्तर की जांच के लिए एक आसान फंडस कैमरा प्रदान किया गया है।
नेत्र सहायक अधिकारी संतोष सोनवानी को WHO द्वारा AIIMS दिल्ली के नेत्र रोग विभाग में प्रशिक्षण दिया गया है। दुर्ग जिले के धमधा ब्लॉक के पुरदा गांव के sub centre में कैम्प लगाया गया। जिसमें मधुमेह रेटिनोपैथी के 151 मरीज पहुंचे।

कैंप का उद्घाटन सरपंच टेखर साहू ने किया। उन्होंने गांव में मुनादी कर सभी मधुमेह मरीजों से आग्रह किया कि जहां जहां कैंप का आयोजन स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जा रहा है वो सभी अपनी जांच अवश्य कराएं।
डॉ. महेंद्र शर्मा बोरी अस्पताल एवं सेक्टर इंचार्ज ने बताया कि छत्तीसगढ़ में इस तरह की पहली बार कैंप का आयोजन किया जा रहा है। इस कैंप का लाभ सभी मधुमेह मरीज एवं उच्च रक्तचाप मरीजों को लेना चाहिए।
गौरतलब हो कि रेटिनोपैथी शिविर (Retinopathy camp) का आयोजन, विशेषकर मधुमेह (diabetes) से पीड़ित लोगों के लिए, बहुत ज़रूरी है क्योंकि यह बीमारी के कारण होने वाली दृष्टि हानि को रोकने में मदद करता है। समय पर जांच और उपचार से, रेटिनोपैथी को बढ़ने से रोका जा सकता है और दृष्टि को बचाया जा सकता है।

शुरुआती पहचान
शिविरों में, मधुमेह से पीड़ित लोगों की रेटिना की जांच की जाती है, जिससे शुरुआती अवस्था में ही बीमारी का पता चल जाता है। शुरुआती पहचान से, रोगियों को तुरंत उपचार मिल सकता है। जैसे कि लेजर उपचार या इंजेक्शन, जो बीमारी को बढ़ने से रोकते हैं।
दृष्टि संरक्षण
समय पर उपचार से, दृष्टि हानि को रोका जा सकता है और अंधता से बचा जा सकता है। शिविरों के माध्यम से, लोगों को मधुमेह और रेटिनोपैथी के बारे में जानकारी दी जाती है, जिससे वे अपनी आंखों की देखभाल के लिए जागरूक होते हैं।
धमधा शिविर में 151 मरीज आए जिसमें से 30 मरीजों में मोतियाबिंद और 93 लोगों का डायबिटिक रेटिनोपैथी स्क्रीनिंग किया गया। मोतियाबिंद जिन मरीजों में पाया गया है, उन्हें दुर्ग जिला शासकीय अस्पताल में नि:शुल्क ऑपरेशन किया जाएगा।
सभी मधुमेह और उच्च जोखिम वाले रोगियों को DR स्क्रीनिंग शिविर के दिन SC-AAM में डॉ महेंद्र शर्मा, संतोष सोनवानी ( नेत्र सहायक ) NCD WHO सलाहकार अतुल शुक्ला, CHO अजय कुमार साहू और RHO मुकेश कुमार पटेल, त्रिलोक धीवर, अनीता मितानिन ट्रेनर और सभी मितानिन द्वारा सहयोग किया जाता है और आगे के निदान के लिए DH दुर्ग के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ भटिआ द्वारा छवियों की समीक्षा की जाती है।