सीजी भास्कर, 30 जून। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में ग्राम कोनारी स्थित अवैध गुटखा फैक्ट्री में खाद्य विभाग की कार्रवाई पर सवाल खड़े हो गए हैं। तीन बार की गई जांच के बावजूद खाद्य सुरक्षा अधिकारी ऋचा शर्मा की भूमिका संदिग्ध पाई गई, जिसके चलते उन्हें नोटिस जारी किया गया है। जांच में मिली लापरवाही और सबूत छिपाने की कोशिशों ने पूरे विभाग की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।
4 और 6 जून की जांच बनी सवालों के घेरे में
4 जून को ऋचा शर्मा के नेतृत्व में पहली बार फैक्ट्री पर छापेमारी हुई। छापे में गुटखा निर्माण सामग्री जैसे मेन्थॉल, एसेंस, इलायची, रैपर और मशीनें पाई गईं, लेकिन किसी भी सामग्री को जब्त नहीं किया गया और न ही फैक्ट्री को सील किया गया।
6 जून को मीडिया और जनप्रतिनिधियों के दबाव पर कार्रवाई की गई लेकिन उसमें सिर्फ 1297 बोरियां सुपारी (64850 किलोग्राम) जब्त की गईं, जिसकी अनुमानित कीमत ₹1.54 करोड़ बताई गई। जबकि बाकी प्रतिबंधित सामग्री की अनदेखी कर दी गई।
मीडिया को रोका गया, सबूत नष्ट करने की आशंका
4 जून की कार्रवाई के दौरान मीडिया को एक घंटे तक फैक्ट्री में प्रवेश से रोका गया, जिससे संदेह होता है कि कार्रवाई में सबूत मिटाने की कोशिश की गई। बाद में जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप पर मीडिया को अनुमति दी गई, और अंदर की असली तस्वीर सामने आई।
तीसरी छापेमारी में रायपुर से आई विशेष टीम
12 जून को रायपुर से सहायक आयुक्त मोहित बेहरा के नेतृत्व में विशेष टीम ने फैक्ट्री पर दोबारा छापा मारा। इस बार मेन्थॉल, सुपारी और रैपर सहित कई प्रतिबंधित वस्तुएं जब्त की गईं और विभाग ने सख्त जांच का भरोसा दिया।
खाद्य विभाग ने मानी लापरवाही, अधिकारी को नोटिस
खाद्य एवं औषधि प्रशासन रायपुर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में माना गया कि कार्रवाई में लापरवाही हुई है। इस संबंध में खाद्य सुरक्षा अधिकारी ऋचा शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और कहा गया कि उनकी कार्यशैली से जांच प्रभावित हुई है।
अपराधिक पृष्ठभूमि के बावजूद छूट में चल रही थी फैक्ट्री
फैक्ट्री संचालक जुमनानी पूर्व में नशीली दवाओं की तस्करी के मामले में गिरफ्तार हो चुका है। इसके बावजूद उसका कारोबार निर्बाध रूप से चलता रहा, जिससे यह संकेत मिलता है कि कुछ अधिकारियों द्वारा उसे संरक्षण प्राप्त था।
ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की न्यायिक जांच की मांग
गांव कोनारी के लोगों और जनप्रतिनिधियों ने इस पूरे प्रकरण में स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है। साथ ही दोषी अधिकारियों पर आपराधिक मामला दर्ज करने की अपील की है। उनका कहना है कि अगर शासन ने सख्त कदम नहीं उठाए, तो यह सीधे-सीधे अपराधियों को खुला संरक्षण देना माना जाएगा।