सीजी भास्कर, 02 अक्टूबर। भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने छत्तीसगढ़ में मतदान केंद्रों के युक्तियुक्तकरण को मंजूरी दे दी है। आयोग ने 26 सितंबर 2025 को मुख्य निर्वाचन अधिकारी, छत्तीसगढ़ को पत्र जारी कर इस संबंध में सहमति प्रदान की। इस फैसले के बाद प्रदेश में मतदान केंद्रों की संख्या और सुविधाओं में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
कितने मतदान केंद्रों में बदलाव?
वर्तमान में प्रदेश में 24,371 मतदान केंद्र संचालित हो रहे हैं। निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए 2,828 नए मतदान केंद्र बनाने की स्वीकृति दी है। साथ ही 204 भवनों के परिवर्तन और 73 स्थानों में बदलाव का भी निर्णय लिया गया है। इसके अलावा 355 मतदान केंद्रों के नाम बदले जाएंगे और 495 अनुभागों में संशोधन किए जाएंगे। तीन पुराने मतदान केंद्रों को विलोपित करने का भी आदेश जारी हुआ है।
क्यों जरूरी है यह बदलाव?
आयोग (Election Commission) का मानना है कि इन संशोधनों का उद्देश्य मतदाताओं को उनके निवास स्थान के नजदीक मतदान केंद्र उपलब्ध कराना है। इससे न सिर्फ लोगों को मतदान में सहूलियत होगी बल्कि भीड़भाड़ और अव्यवस्था से भी राहत मिलेगी। खासकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में नए मतदान केंद्र बनने से मतदाता turnout में इजाफा होने की संभावना है।
राजनीतिक दलों और जनता को सूचना
निर्वाचन आयोग ने निर्देश दिए हैं कि इन बदलावों की जानकारी सभी राजनीतिक दलों, संबंधित अधिकारियों और आम जनता तक पहुंचाई जाए। इसके लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा ताकि किसी भी मतदाता को असुविधा न हो। आगामी चरण में स्वीकृत संशोधनों को मतदान केंद्रों की सूची में शामिल कर नई संशोधित सूची प्रकाशित की जाएगी। इससे हर मतदाता समय रहते अपने नए मतदान केंद्र की जानकारी ले सकेगा।
चुनाव प्रक्रिया पर असर
विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मतदान(Election Commission) प्रतिशत में वृद्धि होगी। ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी इलाकों में भी बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित होगा। आयोग का यह निर्णय निर्वाचन प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी, पारदर्शी और सुगम बनाएगा। यही नहीं, यह कदम मतदाताओं का भरोसा और चुनावी पारदर्शिता बढ़ाने में भी सहायक होगा।
बड़ा सुधारात्मक कदम
प्रदेश में अधोसंरचना विकास और बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए निर्वाचन आयोग द्वारा किया गया यह निर्णय एक बड़ा सुधारात्मक कदम माना जा रहा है। इससे चुनाव प्रणाली में आधुनिकता और पारदर्शिता दोनों को बढ़ावा मिलेगा।