सीजी भास्कर, 13 अक्टूबर। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के सात करोड़ से अधिक सदस्य अब बिना अड़चन के अपने ईपीएफ फंड से न्यूनतम अनिवार्य राशि (EPFO Withdrawal Rules 2025) को छोड़कर शेष 100 प्रतिशत राशि अपने खाते से निकाल सकेंगे। ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने ईपीएफ खाता धारकों के लिए आंशिक निकासी को आसान बनाने के लिए यह मंजूरी दी है। केवल तीन बार आंशिक निकासी की पाबंदी को हटा लिया गया है।
बोर्ड ने ईपीएस-95 पेंशनभोगियों को घर पर डिजिटल जीवन प्रमाण-पत्र (डीएलसी) सेवाएं प्रदान करने के लिए इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक से समझौते को भी मंजूरी दी है। ईपीएफओ सेवाओं के तीसरे चरण के डिजिटल आधुनिकीकरण को भी मंजूरी दे दी गई है। साथ ही अगले पांच वर्ष तक ईपीएफओ डेब्ट पोर्टफोलियो के अधीन राशि का प्रबंधन करने के लिए चार फंड मैनेजरों के चयन पर भी मुहर लगा दी है।
ईपीएफओ (EPFO Withdrawal Rules 2025) के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड की 238वीं बैठक की केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में सोमवार को दिल्ली में हुई बैठक में ये महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। 13 जटिल प्रविधानों को एक ही सुव्यवस्थित नियम में समाहित कर आंशिक निकासी को केवल तीन श्रेणियों आवश्यक आवश्यकताएं (बीमारी, शिक्षा, विवाह), आवास और विशेष परिस्थितियों में समाहित किया गया है।
इसके बाद ईपीएफ सदस्य कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के हिस्से सहित भविष्य निधि में न्यूतनम अनिवार्य राशि को छोड़कर बाकी 100 प्रतिशत रकम निकाल सकेंगे। निकासी सीमा को उदार बनाते हुए अब शिक्षा के लिए 10 बार तक और विवाह के लिए पांच बार तक निकासी की अनुमति होगी। वर्तमान में अधिकतम तीन बार ही आंशिक निकासी की छूट है। सभी आंशिक निकासी के लिए न्यूनतम सेवा की आवश्यकता को घटाकर केवल 12 महीने कर दिया गया है।
श्रम मंत्रालय के मुताबिक, इससे पहले विशेष परिस्थितियों के तहत आंशिक निकासी के दावों को अक्सर खारिज कर दिया जाता था, जिसे लेकर काफी शिकायतें थीं। अब बिना कोई कारण बताए निकासी के लिए आवेदन किया जा सकेगा। ईपीएफ सदस्यों को अपने खाते में योगदान का 25 प्रतिशत न्यूनतम अनिवार्य राशि के रूप में हमेशा रखना होगा ताकि वे इसकी उच्च ब्याज दर (अभी 8.25 प्रतिशत प्रतिवर्ष) का फायदा उठाते हुए सेवानिवृत्ति निधि पर चक्रवृद्धि लाभ हासिल कर सकें।
बोर्ड ने ईपीएफ के समयपूर्व अंतिम निपटान का लाभ उठाने की अवधि को मौजूदा दो महीने से 12 महीने और अंतिम पेंशन निकासी की अवधि को दो महीने से 36 महीने करने का भी निर्णय लिया है। आंशिक निकासी के उदारीकरण से सदस्य अपनी सेवानिवृत्ति बचत या पेंशन अधिकारों से समझौता किए बिना तत्काल वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा कर सकेंगे।
ईपीएफओ (EPFO Withdrawal Rules 2025) में सुधारों के तहत केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने सहज दंडात्मक हर्जाने के माध्यम से मुकदमेबाजी कम करने के लिए ‘विश्वास योजना’ शुरू करने का निर्णय लिया है। इसमें दंडात्मक हर्जाने की दर घटाकर एक प्रतिशत प्रति माह कर दी जाएगी। यह योजना छह महीने तक लागू रहेगी और छह माह आगे भी बढ़ाई जा सकती है।
मुकदमों का एक प्रमुख कारण पीएफ बकाया राशि के लंबित भुगतान के लिए हर्जाना लगाना रहा है। मई, 2025 तक हाई कोर्टों, सीजीआइटी और सुप्रीम कोर्ट सहित विभिन्न मंचों पर 6,000 से अधिक मामले लंबित हैं और दंडात्मक हर्जाना 2,406 करोड़ रुपये का है। ईपीएफओ ई-कार्यवाही पोर्टल पर भी 21,000 संभावित मुकदमे लंबित हैं। विश्वास योजना के तहत अनुपालन की स्थिति में सभी लंबित मामले समाप्त हो जाएंगे।
केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने ईपीएस-95 पेंशनभोगियों को 50 रुपये प्रति प्रमाणपत्र की दर से घर बैठे डिजिटल जीवन प्रमाण-पत्र प्रदान करने के लिए इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के लिए मंजूरी दी, उसका पूरा खर्च ईपीएफओ (EPFO Withdrawal Rules 2025) उठाएगा।
इस पहल से विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले पेंशनभोगी डाक नेटवर्क के माध्यम से घर बैठे अपना जीवन प्रमाण-पत्र निःशुल्क जमा कर सकेंगे। ईपीएफओ 3.0 के तहत केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने भविष्य निधि सेवाओं के आधुनिकीकरण के लिए व्यापक सदस्य केंद्रित डिजिटल परिवर्तन ढांचे को मंजूरी दी है। इस हाइब्रिड डिजाइन कोर बैंकिंग की तरह सदस्यों के ईपीएफ खाता प्रबंधन, ईआरपी, अनुपालन आदि को सुनिश्चित करेगा जिससे दावों व तत्काल निकासी जैसी सेवाएं तेज होंगी।
खास बिंदु
- आंशिक निकासी के लिए 13 जटिल प्रविधानों को केवल तीन श्रेणियों में समाहित किया
- ये हैं- आवश्यक आवश्यकताएं (बीमारी, शिक्षा, विवाह), आवास और विशेष परिस्थितियां
- शिक्षा के लिए अब 10 बार तक व विवाह के लिए पांच बार तक निकासी की होगी अनुमति
- सभी आंशिक निकासी के लिए न्यूनतम सेवा की आवश्यकता घटाकर केवल 12 माह की
- ईपीएफ खाते में योगदान का 25 प्रतिशत न्यूनतम अनिवार्य राशि के रूप में हमेशा रखना होगा
- मुकदमेबाजी घटाने के लिए आई ‘विश्वास योजना’, ईपीएफओ 3.0 डिजिटल परिवर्तन ढांचे को मंजूरी
- ईपीएफओ डेब्ट पोर्टफोलियो की राशि का प्रबंधन करने के लिए चार फंड मैनजरों के चयन पर मुहर