सीजी भास्कर, 06 मई। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट (IGI) पर उस समय अफरातफरी मच गई, जब एक युवक फ्रांस से भारत लौटते समय इमीग्रेशन जांच में पकड़ा गया। दस्तावेजों में सब कुछ सही लग रहा था, चेहरा भी मिल रहा था, लेकिन नाम, पहचान और यात्रा का इतिहास कहीं मेल नहीं खा रहा था।
IGI News: दिल्ली स्थित एयरपोर्ट जांच में सामने आया कि यह युवक असली नहीं, बल्कि फर्जी पासपोर्ट पर विदेश गया था। मामला सामने आते ही इमीग्रेशन अधिकारियों ने उसे हिरासत में ले लिया।
जांच में युवक की असली पहचान जसनप्रीत सिंह के रूप में हुई, जो पंजाब के होशियारपुर का रहने वाला है। वह भारत लौटा तो था अपने असली दस्तावेजों और इमरजेंसी सर्टिफिकेट के साथ, लेकिन जांच में पाया गया कि उसके नाम से कोई ट्रैवल रिकॉर्ड ही मौजूद नहीं है। पूछताछ में उसने चौंकाने वाला खुलासा किया।
जसनप्रीत ने बताया- कैसे बना तनु वैद?
जसनप्रीत ने बताया कि वह मार्च 2022 में तनु वैद नाम से बने फर्जी पासपोर्ट पर यूरोप गया था।
उसने बताया कि गांव के एक जानकार ने उसे विदेश भेजने का सपना दिखाया और 12 लाख रुपये में दिल्ली के एजेंट से मिलवाया।
शाहदरा निवासी रोहित वैद नामक एजेंट ने उसे अपने भाई तनु वैद की पहचान अपनाने को कहा और नया पासपोर्ट बनवाकर वीजा दिलवाया। इसके बाद वह मुंबई से अबू धाबी, फिर स्पेन होते हुए फ्रांस पहुंचा।
फ्रांस में जली फर्जी पहचान, मजदूरी कर काटे दिन- जसनप्रीत
फ्रांस में एजेंटों ने उसे छोड़ दिया और सारे फर्जी दस्तावेज जला दिए। जसनप्रीत मजदूरी कर किसी तरह दिन गुजारता रहा।
अप्रैल 2025 में जब उसकी दादी का निधन हुआ, तो वह भारत लौटने का फैसला करता है और असली पहचान में आपात प्रमाणपत्र के जरिए वापस आता है लेकिन दिल्ली एयरपोर्ट पर जांच में पूरा मामला खुल जाता है।
पुलिस ने तुरंत उसे गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ में रोहित वैद का नाम सामने आया, जिसे जल्द ही दबोच लिया गया।
आगे की जांच में पुलिस ने गिरोह के एक और सदस्य गगन शर्मा को बटाला से गिरफ्तार किया, जो गुरदासपुर का रहने वाला है. गगन ने बताया कि वह सिर्फ पांचवीं पास है और पिछले चार सालों से इस धंधे में लिप्त है। उसने फर्जी दस्तावेज तैयार करवाने, पासपोर्ट बनवाने और पैसा वसूलने में मदद की थी।
हालांकि इस गैंग का मास्टरमाइंड जगमोहन सिंह उर्फ नरेंद्र अभी भी फरार है। पुलिस उसकी तलाश में पंजाब और दिल्ली में कई ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। इस पूरे नेटवर्क से जुड़े अन्य एजेंटों की पहचान और उनके बैंक खातों की जांच भी तेजी से चल रही है।