भारत प्रत्यर्पण (Extradition of Mehul Choksi) पर बेल्जियम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी
भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चौकसी (Extradition of Mehul Choksi) को बड़ा झटका लगा है। बेल्जियम की एक अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि उसके भारत प्रत्यर्पण में कोई कानूनी रुकावट नहीं है। अदालत ने साफ किया कि चौकसी बेल्जियम का नागरिक नहीं है, बल्कि एक विदेशी नागरिक है, और उसके खिलाफ लगे आरोप इतने गंभीर हैं कि भारत को उसका प्रत्यर्पण (India Extradition Approval) पूरी तरह न्यायसंगत है। अदालत ने साथ ही यह भी कहा कि यह मामला किसी भी तरह राजनीतिक नहीं है, इसलिए उसे भारत भेजने में कोई बाधा नहीं बनती।
अदालत ने कहा – ‘गंभीर आरोप हैं, राजनीतिक मकसद नहीं’
कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि चोकसी (Mehul Choksi) पर जो आरोप हैं, वे साजिश (120-B), धोखाधड़ी (420), सरकारी धन की हेराफेरी (409), सबूत मिटाना (201) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत अपराधों से जुड़े हैं। ये सभी आरोप ऐसे हैं जिनमें एक वर्ष से अधिक की सजा का प्रावधान है। अदालत ने माना कि ये आरोप गंभीर आर्थिक अपराध (Serious Financial Crime) की श्रेणी में आते हैं और इनमें किसी राजनीतिक दबाव या बदले की भावना का कोई प्रमाण नहीं है।
चोकसी को मिली आंशिक राहत, एक बिंदु पर नहीं दी मंजूरी
हालांकि अदालत ने एक पहलू पर चौकसी को राहत दी है। बेल्जियम के कानून में ‘सबूत मिटाना’ (Evidence Destruction) अपराध की श्रेणी में नहीं आता, इसलिए इस बिंदु पर प्रत्यर्पण की मंजूरी नहीं दी गई। लेकिन अन्य सभी अपराधों को अदालत ने प्रत्यर्पण योग्य माना। अदालत ने कहा कि “कानून के नजरिए से अपराध वही है जो दोनों देशों में दंडनीय हो”, और इस आधार पर भारत की मांग को न्यायोचित ठहराया गया।
कोर्ट ने खारिज किए चोकसी के ‘किडनैपिंग और जेल’ वाले दावे
चोकसी ने अपने बचाव में यह कहा था कि उसे एंटीगुआ से भारत के इशारे पर किडनैप (Mehul Choksi Kidnapping Claim) किया गया था। हालांकि अदालत ने इस दावे को सबूतों के अभाव में खारिज कर दिया। उसने यह भी कहा कि भारत की जेलों या न्याय प्रणाली पर पेश किए गए रिपोर्ट्स से कोई ठोस तथ्य सामने नहीं आता कि चोकसी को वहां अनुचित व्यवहार झेलना पड़ेगा। अदालत ने माना कि “न्यायिक स्वतंत्रता और सुरक्षा की गारंटी भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में सुनिश्चित है।”
भारत ने दी जेल और सुरक्षा व्यवस्था की पूरी जानकारी
अदालत के समक्ष भारत की ओर से विस्तृत जानकारी दी गई कि मेहुल चौकसी को मुंबई की आर्थर रोड जेल (Arthur Road Jail Mumbai) में रखा जाएगा। उसके लिए अलग बैरक (46 वर्ग मीटर) तय की गई है, जिसमें निजी शौचालय और चिकित्सा सुविधा होगी। कोर्ट ने इस व्यवस्था को पर्याप्त माना और कहा कि चोकसी की हिरासत अदालत के नियंत्रण में होगी, जांच एजेंसी के नहीं।
कोर्ट ने कहा – निष्पक्ष ट्रायल से नहीं भाग सकता आरोपी
चोकसी ने यह भी तर्क दिया कि भारत में मीडिया कवरेज से उसके खिलाफ माहौल बना है। अदालत ने कहा कि “मीडिया रिपोर्ट किसी आरोपी के ट्रायल को प्रभावित नहीं कर सकती, विशेषकर तब जब न्यायपालिका स्वतंत्र है।” कोर्ट ने कहा कि उसे स्वास्थ्य, सुरक्षा या ट्रायल के प्रति कोई ठोस खतरा नहीं दिखता, इसलिए प्रत्यर्पण को रोके जाने का कोई आधार नहीं है।