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Home » Eye Donation Awareness : नेत्रदान को लेकर बढ़ रही है जागरूकता, डेढ़ वर्षों में प्रदेश के इतने लोगों ने किया नेत्रदान

Eye Donation Awareness : नेत्रदान को लेकर बढ़ रही है जागरूकता, डेढ़ वर्षों में प्रदेश के इतने लोगों ने किया नेत्रदान

By Newsdesk Admin 19/07/2025
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Eye Donation Awareness
Eye Donation Awareness

सीजी भास्कर, 18 जुलाई : छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा दृष्टिहीनता (Eye Donation Awareness) की रोकथाम के लिए वृहद स्तर पर कार्य किया जा रहा है। दृष्टिहीनता के प्रमुख कारणों में से एक मोतियाबिंद है, जो सामान्यतः एक आयुजन्य नेत्र रोग है। एक निश्चित आयु के पश्चात इसका होना सामान्य माना जाता है, किन्तु इसका ऑपरेशन कर दृष्टि पुनः प्राप्त की जा सकती है। इसके उपचार हेतु गुणवत्तापूर्ण निःशुल्क नेत्र आपरेशन की सुविधा राज्य के 25 जिला चिकित्सालयों एवं 10 चिकित्सा महाविद्यालयों सहित कुल 43 स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध है, जहां नियमित रूप से नेत्र ऑपरेशन किए जा रहे हैं।

राज्य में अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक 1,45,580 तथा अप्रैल 2025 से जून 2025 तक 27,245 मोतियाबिंद ऑपरेशन सफलतापूर्वक किए गए हैं। प्रदेश में भारत सरकार की महत्वाकांक्षी “राष्ट्रीय नेत्र ज्योति योजना” (Eye Donation Awareness) संचालित है, जिसके अंतर्गत सभी जिलों को ‘‘कैटरेक्ट ब्लाइंडनेस बैकलॉग फ्री स्टेटस’’ (सीबीबीएफएस) प्रदान किया जाना है। इस योजना के अंतर्गत दोनों आंखों में मोतियाबिंद से दृष्टिहीन रोगियों की पहचान कर प्राथमिकता के आधार पर ऑपरेशन द्वारा उन्हें दृष्टिहीनता से मुक्त किया जाता है।

अब तक राज्य के 11 जिलों — कबीरधाम, रायपुर, धमतरी, बलौदाबाजार, बालोद, दुर्ग, राजनांदगांव, खैरागढ़, रायगढ़, कोरबा एवं बस्तर — को दृष्टिहीनता मुक्त घोषित किए जाने हेतु दावा भारत सरकार को प्रेषित किया गया है। वहीं कांकेर एवं बेमेतरा जिलों के दावों का सत्यापन कार्य प्रगति पर है, जिसके उपरांत प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा जाएगा।

दृष्टिहीनता के एक अन्य प्रमुख कारण “ग्लॉकोमा” की भी पहचान और उपचार हेतु विभाग सजग है। यह आंख की एक जटिल बीमारी है, जिसकी प्रारंभिक अवस्था में रोगी को जानकारी नहीं होती और जब पता चलता है, तब तक दृष्टि का ह्रास हो चुका होता है। इसकी गई दृष्टि वापस नहीं लाई जा सकती। इसकी पहचान केवल नियमित नेत्र परीक्षण से ही संभव है। अतः 40 वर्ष की आयु के बाद प्रत्येक 6 माह में नेत्र परीक्षण कराने की सलाह दी जाती है। राज्य के सभी विकासखंड केन्द्रों में इसकी जांच की सुविधा उपलब्ध है।

कॉर्नियल दृष्टिहीनता की रोकथाम के लिए “कॉर्नियल दृष्टिहीनता मुक्त राज्य योजना” भी संचालित की जा रही है। इसके अंतर्गत सभी जिलों में कॉर्नियल दृष्टिहीन रोगियों की पहचान कर, नेत्र प्रत्यारोपण केन्द्रों से उनका सत्यापन कराते हुए नेत्र बैंक में पंजीयन कराया गया है। नेत्रदान (Eye Donation Awareness) प्राप्त होते ही प्राथमिकता के आधार पर इनका प्रत्यारोपण किया जाता है। जनजागरूकता के माध्यम से नेत्रदान को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक 263 और अप्रैल 2025 से जून 2025 तक 88 नेत्रदान संपन्न हुए हैं।

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Newsdesk Admin 19/07/2025
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