Farmer files nomination in Bihar Election : किसान राम स्वारथ प्रसाद का चुनावी संकल्प
(Farmer files nomination in Bihar Election) — बेगूसराय के चेरिया बरियारपुर विधानसभा क्षेत्र में सोमवार को नामांकन का नजारा कुछ अलग था। हाथों में फाइल, चेहरे पर झुर्रियां और आंखों में आत्मविश्वास लिए 72 साल के किसान राम स्वारथ प्रसाद जब मंझौल अनुमंडल कार्यालय पहुंचे, तो हर किसी की निगाह उन पर टिक गई।
लोगों के बीच हलचल थी, लेकिन उनके कदम ठहरे हुए नहीं थे — वे सीधे अंदर गए और नामांकन पत्र दाखिल कर आए। बाहर निकले तो मुस्कुराते हुए बोले — “अब बहुत देख लिया, अब खुद बदलाव लाऊंगा।”
“किसानों की आवाज बनूंगा, नारा नहीं – समाधान बनूंगा”
नामांकन दाखिल करने के बाद राम स्वारथ प्रसाद ने कहा कि किसानों की समस्याओं पर केवल बातें नहीं, अब ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
उन्होंने साफ कहा, “हमने खेतों में पसीना बहाया, लेकिन बदले में मिला सिर्फ इंतजार। अब फैसला किया है कि अगर जनता ने भरोसा जताया, तो खेती को उद्योग का दर्जा दिलवाऊंगा। शिक्षा फ्री कराऊंगा और गांवों में रोजगार के दरवाजे खोलूंगा।”
उनकी बातें सुनते ही वहां मौजूद लोगों में जोश बढ़ गया, “किसान नेता जिंदाबाद” के नारे गूंजने लगे।
उम्र नहीं, इरादा बड़ा होता है
(Farmer files nomination in Bihar Election) के इस प्रेरक प्रसंग में सबसे खास बात यह थी कि 72 साल की उम्र में भी राम स्वारथ प्रसाद के हौसले जवानों जैसे हैं।
कई लोग उनकी उम्र देखकर हैरान थे, तो उन्होंने हंसते हुए कहा — “उम्र नहीं, इरादा मायने रखता है। जब तक सांस है, तब तक समाज के लिए कुछ करने की चाह रहेगी।”
उनकी इस बात पर तालियां बज उठीं और कई युवाओं ने कहा कि यह राजनीति नहीं, एक आंदोलन की शुरुआत है।
“हम किसी के खिलाफ नहीं, समस्याओं के खिलाफ हैं”
उन्होंने आगे कहा, “हमारी लड़ाई किसी पार्टी या व्यक्ति से नहीं है, बल्कि उन समस्याओं से है जिन्होंने किसान, मजदूर और युवाओं को कमजोर बना दिया।”
(Farmer files nomination in Bihar Election) में उनका उद्देश्य राजनीति को सेवा का माध्यम बनाना है, न कि सत्ता का रास्ता।
राम स्वारथ का कहना है कि वे राजनीति में नए हैं, लेकिन नीयत पुरानी है — “हम जनता से निकले हैं, और जनता के लिए लड़ेंगे।”
हलफनामे में किसान की सादगी झलकती है
नामांकन के साथ जमा किए गए हलफनामे में उन्होंने खुद को “किसान” बताया है।
पत्नी के साथ एक साधारण घर में रहते हैं, न कोई राजनीतिक अनुभव, न कोई प्रचार तामझाम — बस बदलाव की इच्छा।
वे कहते हैं, “राजनीति में किसान की आवाज अब गुम हो चुकी है। उसे फिर से जिंदा करना ही मेरा मकसद है।”
बेगूसराय में चर्चा का विषय बने बुजुर्ग किसान
बेगूसराय जिले की सात विधानसभा सीटों पर (First Phase Voting – 6 November) को मतदान होगा।
नामांकन के आखिरी दिन 72 साल के इस किसान का नाम जुबान पर चढ़ गया।
भीड़ में मौजूद एक युवक ने कहा, “अगर इस उम्र में कोई समाज के लिए खड़ा हो सकता है, तो वो सच्चा नेता है।”
शायद यही वह भावना है, जो राम स्वारथ प्रसाद को बाकियों से अलग बनाती है।
उम्मीदों का बोझ नहीं, विश्वास का बीज बोया है
72 साल की उम्र में राम स्वारथ प्रसाद ने एक नई परंपरा की शुरुआत की है — “शिकायत नहीं, समाधान खुद बनो।”
(Farmer files nomination in Bihar Election) जैसी कहानियां याद दिलाती हैं कि राजनीति सिर्फ कुर्सी की नहीं, सेवा की भी होती है।
बेगूसराय में यह किसान शायद वोट से ज्यादा भावनाएं जीतने निकला है।