सीजी भास्कर, 3 अगस्त |
बालोद | छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के ओड़ गांव के जंगल में एक गर्भवती मादा हिरण की दर्दनाक मौत हो गई।
बताया जा रहा है कि उसे गांव की सीमा तक पहुंचने पर कुत्तों के झुंड ने घेर लिया था। घबराहट में हिरण काफी देर तक दौड़ती रही और इसी सदमे से उसकी जान चली गई।
पोस्टमार्टम के बाद वन विभाग ने पुष्टि की है कि यह मादा हिरण गर्भवती थी। जंगल से सटे गांव में इस तरह की यह चौथी घटना है, जिसने वन्य जीव संरक्षण पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
शनिवार शाम ओड़ गांव के जंगल में हिरणों का एक झुंड विचरण करते हुए बस्ती के करीब पहुंच गया।
तभी कुछ जंगली कुत्तों ने एक मादा हिरण को अलग कर लिया और चारों तरफ से घेर कर दौड़ाना शुरू किया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हिरण बुरी तरह घबरा गई थी और बचने के लिए लंबे समय तक भागती रही।
रविवार सुबह ग्रामीणों को मादा हिरण मृत अवस्था में मिली। सूचना पर पहुंची वन विभाग की टीम ने मौके पर ही शव का पंचनामा तैयार कर पोस्टमार्टम कराया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया दिल दहला देने वाला सच
दल्लीराजहरा रेंज के SDO जीवनलाल सिन्हा ने बताया कि पोस्टमार्टम में यह बात सामने आई है कि मृत मादा हिरण गर्भवती थी।
उसके शरीर पर तीन स्थानों पर चोट के निशान भी मिले हैं। रिपोर्ट में यह स्पष्ट है कि हिरण की मौत बाहरी हमले से नहीं बल्कि मानसिक आघात यानी शॉक से हुई है।
SDO के मुताबिक, हिरण जैसे वन्य जीव बेहद संवेदनशील होते हैं। जब उन्हें खतरा महसूस होता है तो घबराहट और तनाव की वजह से उनकी जान जा सकती है।
ढाई महीने में हिरण की चौथी मौत, वन विभाग की लापरवाही सवालों में
यह घटना अकेली नहीं है। बीते ढाई महीनों में बालोद जिले में हिरणों की मौत के चार मामले सामने आ चुके हैं:
- घोटिया गांव: कुत्तों के पीछा करने से हिरण की मौत
- तांदुला जलाशय: लकड़बग्घे ने दो हिरणों को मार डाला
- ओड़ गांव: कुत्तों से घिरी गर्भवती हिरण की मौत (वर्तमान मामला)
लगातार हो रही इन घटनाओं से साफ है कि जंगलों से लगे ग्रामीण क्षेत्रों में वन्य जीव असुरक्षित हैं।
यह वन विभाग की निगरानी प्रणाली और संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा इंतजामों पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।