Fertilizer Scam: कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक के मोरगा क्षेत्र में खाद वितरण के नाम पर बड़ा (Fertilizer Scam) उजागर हुआ है। जांच में सामने आया कि समिति प्रबंधक ने खाद की सप्लाई में गंभीर गड़बड़ियां कीं। आरोप है कि उसने चार ट्रक खाद बिना वितरण के ही बेच डाले। इस फर्जीवाड़े से क्षेत्र के किसानों में भारी नाराजगी देखी जा रही है।
मृत व्यक्तियों के नाम पर भी हुआ खाद का उठाव
जांच टीम ने पाया कि प्रबंधक ने मृत किसानों के नाम पर खाद का उठाव (Khad Ghotala) कर लिया था। यह सिर्फ एक प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि सीधे-सीधे भ्रष्टाचार का मामला बनता है।
ग्रामीणों ने बताया कि वर्षों से समिति के कामकाज में पारदर्शिता नहीं रही। अब यह सामने आने के बाद ग्रामीणों ने Committee Manager Fraud को लेकर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
खाद की मात्रा में बड़ा अंतर मिला
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, प्रबंधक के रिकॉर्ड में खाद की मात्रा में बड़ा अंतर पाया गया।
कुल 164 बोरी यूरिया, 44 बोरी डीएपी, 79 बोरी एनपीके, और 8 बोरी पोटाश का हिसाब मेल नहीं खा रहा।
इससे साफ संकेत मिलता है कि खाद का गबन (Fertilizer Scam in Korba) योजनाबद्ध तरीके से किया गया था।
रिकॉर्ड्स में गड़बड़ी और दस्तावेज़ों का अभाव
समिति प्रबंधक ने स्कंध पंजी का संधारण नहीं किया था, जो कि कोऑपरेटिव सोसाइटी एक्ट के तहत घोर अनियमितता (Committee Manager Fraud) मानी जाती है।
खास बात यह है कि इस तरह की लापरवाही के बावजूद, कई महीनों तक किसी ने जांच की जरूरत नहीं समझी। यह प्रशासनिक तंत्र पर भी सवाल खड़ा करता है।
कलेक्टर ने दिए FIR और बर्खास्तगी के निर्देश
मामला गंभीर देखते हुए कलेक्टर अजीत वसंत ने तत्काल कार्रवाई के आदेश जारी किए। उन्होंने समिति प्रबंधक के खिलाफ FIR दर्ज करने, सेवा से बर्खास्त करने, और गबन की गई राशि की वसूली (Khad Ghotala Action) के निर्देश दिए हैं।
प्रशासन ने यह भी साफ किया कि ऐसी घटनाओं पर सख्त निगरानी रखी जाएगी, ताकि भविष्य में कोई अधिकारी इस तरह की हिम्मत न कर सके।
किसानों ने कहा – “हमारे साथ धोखा हुआ है”
ग्रामीण किसानों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जो खाद उनके खेतों तक पहुंचनी थी, वह कुछ लोगों की जेब में चली गई।
अब किसान मांग कर रहे हैं कि पूरे ब्लॉक में खाद वितरण की दोबारा जांच कराई जाए और दोषियों को जेल भेजा जाए।
(Fertilizer Scam in Korba): अब पूरी व्यवस्था सवालों के घेरे में
यह घोटाला सिर्फ एक व्यक्ति की गलती नहीं बल्कि पूरे सिस्टम की लापरवाही का नतीजा है।
प्रशासन के लिए अब यह जरूरी हो गया है कि वह खाद वितरण प्रणाली को पारदर्शी बनाए और किसानों के हक का हर दाना उन तक पहुंचे।