सीजी भास्कर, 29 सितंबर। नवरात्र शक्ति की उपासना का पर्व है और इस अवसर पर नारी शक्ति का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया है छत्तीसगढ़ (First Woman Agniveer Chhattisgarh) की बेटी हिषा बघेल ने। दुर्ग जिले के छोटे से गांव बोरीगारका की रहने वाली हिषा ने कठिन संघर्षों और आर्थिक तंगी को मात देकर भारतीय नौसेना में प्रदेश की पहली महिला अग्निवीर बनने का गौरव हासिल किया। आज वह केरल में आइएनएस विक्रमादित्य पर तैनात होकर देश की सुरक्षा में योगदान दे रही हैं।
करीब दो हजार की आबादी वाले गांव में एक ऑटो चालक की बेटी के रूप में जन्मी हिषा के सामने (First Woman Agniveer Chhattisgarh) चुनौतियाँ ही चुनौतियाँ थीं। पिता कैंसर से जूझ रहे थे, घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, लेकिन हिषा ने हार मानने की बजाय पढ़ाई और तैयारी में पूरी ताकत झोंक दी। 12वीं में उन्होंने 96% अंक प्राप्त किए और रोज सुबह चार बजे उठकर सेना में भर्ती की तैयारी शुरू कर दी। 2023 में ओडिशा के चिल्का में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वे भारतीय नौसेना में शामिल हो गईं।
भाई का सहयोग बना संबल
हिषा की इस उपलब्धि के पीछे उनके भाई कोमल बघेल का भी अहम योगदान (First Woman Agniveer Chhattisgarh) है। खुद डिफेंस में नहीं जा पाए, लेकिन उन्होंने बहन को हर कदम पर प्रेरित किया। वहीं मंझली बहन दीक्षा डॉक्टर बनने का सपना देख रही हैं और उसकी तैयारी में जुटी हैं।
युवाओं की रोल मॉडल
हिषा के गांव लौटने के बाद बोरीगारका ही नहीं, आसपास के कई गांवों के युवाओं में भी डिफेंस की ओर रुझान बढ़ा है। कोमल बताते हैं कि कई लड़के-लड़कियां उनसे और हिषा से मार्गदर्शन मांगते हैं। कांकेर की नुपूर यादव को हिषा ने लगातार प्रोत्साहित किया, जिसका चयन एयरफोर्स में हुआ है।
आज हिषा न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे प्रदेश की बेटियों के लिए प्रेरणा हैं। उनकी कहानी साबित करती है कि संघर्ष, समर्पण और मजबूत इरादे हर बाधा को पार कर सकते हैं।