नई दिल्ली।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर में बीएपीएस संस्था के आध्यात्मिक गुरु परम पूज्य महंत स्वामी महाराज ने विशेष प्रार्थना कर भक्तों को आशीर्वाद दिया। इस दौरान उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और उनके उपदेशों को याद करते हुए कहा कि “भारतभूमि पर धर्म की स्थापना के लिए समय-समय पर भगवान अवतरित होते हैं और श्रीकृष्ण का जीवन आज भी हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है।”
‘अर्जुन के सारथी और भक्तवत्सल श्रीकृष्ण’
महंत स्वामी महाराज ने श्रीकृष्ण के विभिन्न लीलाओं का उल्लेख करते हुए कहा –
- अर्जुन का रथ चलाकर धर्म की रक्षा की
- द्रौपदी की लाज बचाने के लिए चीर बढ़ाया
- मित्र सुदामा के तांदूल प्रेम से स्वीकार किए
- विदुर की भाजी खाई
- गोकुल में गोपियों और गोपबालकों को आनंद दिया
उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण का हर चरित्र आज भी हमें धर्म, प्रेम और करुणा का संदेश देता है।
सबसे बड़ा उपहार – भगवद्गीता
स्वामी महाराज ने कहा – “इस धरती को श्रीकृष्ण की सबसे बड़ी भेंट भगवद्गीता है। इसमें दिया गया ज्ञान हर समय, हर परिस्थिति में मार्गदर्शन करता है। यदि हम गीता के उपदेशों को जीवन में अपनाएं तो सदैव भगवान की उपस्थिति का अनुभव कर सकते हैं।”
जन्माष्टमी का पर्व तभी सार्थक
महंत स्वामी महाराज ने अंत में कहा कि जन्माष्टमी केवल उत्सव और परंपरा तक सीमित न रहे, बल्कि इसे तब ही सार्थक माना जाएगा जब हम भगवद्गीता को समझकर उसके ज्ञान को जीवन में उतारें।