उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज तहसील क्षेत्र में स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय (Kasturba Gandhi Residential School) इन दिनों सुर्खियों में है। यहां पढ़ने वाली छात्राओं ने प्रिंसिपल और वार्डन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि रात के समय संदिग्ध लोग परिसर में आते हैं और विरोध करने पर उन्हें धमकियों व पिटाई का सामना करना पड़ता है। ये घटनाएं सीधे तौर पर Girls Safety in Schools (स्कूलों में बच्चियों की सुरक्षा) पर गंभीर सवाल खड़ा करती हैं।
प्रिंसिपल और वार्डन पर लगे संगीन आरोप
छात्राओं का कहना है कि जब वे इन घटनाओं पर सवाल उठाती हैं तो उन्हें गालियां दी जाती हैं। इतना ही नहीं, कुछ छात्राओं को धमकाया गया कि अगर बात बाहर निकली तो उन्हें जान से मारकर फेंक दिया जाएगा। बच्चियों ने यह भी आरोप लगाया कि उनसे शौचालय की सफाई और झाड़ू-पोंछा करवाया जाता है। भोजन की स्थिति भी बेहद खराब बताई गई। इन हालातों ने अभिभावकों में गुस्सा भर दिया है और उन्होंने खुलेआम सुरक्षा की मांग की है।
अभिभावकों की अपील और डीएम का सख्त रुख
नवरात्रि की छुट्टियों में जब छात्राएं घर लौटीं तो उन्होंने अपने माता-पिता को शरीर पर चोट के निशान दिखाए। यह सुनकर अभिभावक अपनी बेटियों के साथ समाधान दिवस में पहुंचे और जिला प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई। इस पर जिलाधिकारी विशाखा जी. ने तुरंत एक्शन लेते हुए वार्डन को पद से हटा दिया और जांच के लिए तीन सदस्यीय महिला अधिकारियों की कमेटी बनाई। डीएम का कहना है कि Girls Safety in Schools उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
बंद कमरे में दर्ज होंगे छात्राओं के बयान
जांच कमेटी को निर्देश दिया गया है कि बच्चियों के बयान बंद कमरे में दर्ज किए जाएं, ताकि वे बिना डर के सच्चाई बता सकें। कमेटी में एडीएम सिविल सप्लाई ज्योति गौतम, एसीएम-6 और एआर कोऑपरेटिव वैशाली सिंह शामिल हैं। यह टीम रविवार को विद्यालय का निरीक्षण करेगी और विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी।
अभिभावकों का अल्टीमेटम
अभिभावकों ने साफ कह दिया है कि जब तक दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं होती, वे अपनी बच्चियों को स्कूल नहीं भेजेंगे। उनका कहना है कि उनकी बेटियों की सुरक्षा और सम्मान से कोई समझौता नहीं होगा। इस बयान ने प्रशासन की चिंताएं और बढ़ा दी हैं।
सवालों के घेरे में बालिका विद्यालय की व्यवस्था
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय (KGBV) समाज के कमजोर वर्ग की लड़कियों को शिक्षा देने के उद्देश्य से बनाए गए हैं। लेकिन इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सिर्फ शिक्षा ही नहीं, बल्कि Girls Safety in Schools भी उतनी ही जरूरी है। अब सबकी निगाहें जांच रिपोर्ट और प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं।