सीजी भास्कर, 06 जुलाई। छत्तीगसढ़ के पटवारियों ने 8 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का अल्टिमेटम सरकार को देते हुए कहा है कि समस्या का समाधान नहीं कर सकते तो पटवारी का पद ही समाप्त कर दें।
पटवारी संघ ने छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा को ज्ञापन सौंप स्पष्ट कह दिया है कि समस्या का समाधान नहीं होने पर 8 जुलाई से सभी पटवारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर होंगे। आपको बता दें कि संघ ने राजस्व मंत्री के समक्ष 32 सूत्रीय मांगें रखी हैं। संघ के अध्यक्ष भागवत कश्यप ने बताया कि भुईयां साफ्टवेयर में आ रही दिक्कत से पटवारी परेशान हैं, अगर सरकार ये परेशानी दूर नहीं करती है तो पटवारी का पद ही समाप्त कर दिया जाए। संघ की विगत कई वर्षों से लंबित मांगें हैं जिनका निराकरण न होने से प्रदेश के सभी पटवारी निराश और हताश हैं। सबसे ज्यादा समस्या भुईयां साफ्टवेयर की वजह से हो रही है। इस साफ्टवेयर में कई खामियां हैं जिन्हें ठीक नहीं किया जा रहा है। त्रुटिपूर्ण खसरे जो बैंक में बंधक हैं, ऐसे खसरों को साफ्टवेयर में ठीक या विलोपित नहीं किया गया है, न ही एनआईसी द्वारा उसे विलोपित किया गया है। पटवारी आईडी में संकलन, विलोपन, संशोधन का ऑप्शन नहीं है इसके बावजूद कई जिलों में संकलन, विलोपन संशोधन के नाम पर पटवारियों के खिलाफ दुर्भावनापूर्वक कार्रवाई की जा रही है, इस पर रोक लगाई जाए। किसानों द्वारा कर्ज चुका देने के बाद भी ऑनलाईन भुईयां से बैंक बंधक नहीं हटाया जाता है, ऐसे मामलों की शिकायत होने पर सारा दोषारोपण पटवारियों पर होता है। ऑनलाईन काम करने के लिए आज तक किसी प्रकार की सुविधा नहीं दी गई है। पटवारियों को कंप्यूटर, लैपटॉप प्रिंटर, स्कैनर, इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है, पटवारी अपने संसाधन से काम करते हैं। इस काम के लिए अतिरिक्त भत्ता दिया जाना चाहिए। ऑनलाईन नक्शा, बटांकन संशोधन पहले पटवरी आईडी में संशोधित कर राजस्व निरीक्षक की आईडी में भेजा जाता है। जब तक राजस्व निरीक्षक की आईडी से अनुमोदन नहीं होता है तब तक उसी नक्शे से संबंधित अन्य बटांकन या संशोधन नहीं किया जा सकता है, जिसके कारण अनावश्यक विलंब होता है। पटवारी द्वारा अनुनोदन के लिए भेजा गया नक्शा बंटाकन पटवारी आईडी में नहीं दिखता जिससे त्रुटि की संभावना रहती है। नक्शा का सर्वर अधिकाशतः खुलता नहीं है। हर बार दुबारा लॉगिन करना पड़ता है। इस समस्या का निराकरण आज तक नहीं किया गया। डिजीटल हस्ताक्षर 100 प्रतिशत करने के लिए शासन स्तर पर दबाव बनाया जाता है। पटवारी खुद अपने खर्च से डिजीटल टोकन बनाते हैं इसके बाद भी उच्चाधिकारी प्रताड़ित करते हैं। ऑनलाईन रजिस्ट्री होने के बाद नामांतरण के लिए पटवारी की आईडी में आता है जिसमें क्रेता-विक्रेता से संबंधित सारी जानकारी अंग्रेजी में रहती है जिसे हिंदी में टाइप करना पड़ता है। लिपिकीय त्रुटि हो सकती है। इसके लिए पटवारी को दोषी समझा जाता है। वर्तमान में प्रदेश स्तर पर 100 प्रतिशत नक्शा, बटांकन का दबाव बनाया जा रहा है।