सीजी भास्कर 8 दिसम्बर ,रायपुर। Guideline Rate Revision : छत्तीसगढ़ में जमीन खरीद-फरोख्त के लिए जारी नई कलेक्टर गाइडलाइन दरों में असामान्य वृद्धि ने राज्य का माहौल गर्म कर दिया है। कई जिलों में दरें जहां करीब 100% तक बढ़ीं, वहीं कुछ क्षेत्रों में यह उछाल 500% तक दर्ज किया गया। अचानक की गई इस बढ़ोतरी ने आम नागरिकों, किसानों, व्यापारियों और विभिन्न संगठनों को खुलकर सामने आने पर मजबूर कर दिया है।
सरकार की ओर से भी अब इस मुद्दे को लेकर गंभीरता बढ़ी है।
2017 के बाद पहली बार बड़ी समीक्षा
मुख्यमंत्री ने संकेत दिया है कि सरकार जनता पर अनावश्यक भार नहीं डालेगी और शिकायतों के मद्देनज़र नई गाइडलाइन पर पुनर्विचार संभव है।
उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2017 के बाद गाइडलाइन में किसी तरह का संशोधन नहीं हुआ, जबकि नियमों के अनुसार हर साल दरों की समीक्षा आवश्यक है।
हालांकि, बढ़े हुए मूल्यांकन से राजस्व बढ़ सकता है, लेकिन इसका लाभ अभी ज़मीनी स्तर तक नहीं पहुंचा है।
बढ़ी दरों का असर: जनता पर बोझ या सुधार का मौका?
मुख्यमंत्री के अनुसार, नई गाइडलाइन के कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं—जैसे जमीन का वास्तविक मूल्यांकन, अनियमितताओं में कमी, और राजस्व में सुधार।
परन्तु, बढ़ी हुई दरों से आम खरीददारों, किसानों और छोटे व्यापारियों में परेशानी बढ़ी है।
अगर यह बोझ लंबे समय तक जारी रहा, तो जमीन संबंधी लेन-देन पर सीधा असर पड़ सकता है, जिससे बाज़ार की गति भी धीमी पड़ने की आशंका है।
सरकार इसी कारण “गाइडलाइन संशोधन विकल्प” पर विचार कर रही है।
राज्यभर में विरोध तेज, संगठनों की बैठकें जारी
नई गाइडलाइन के विरोध में कई जिलों में व्यापारी संगठनों और किसानों की बैठकों का दौर जारी है।
आम नागरिकों ने भी बढ़ी हुई दरों को अव्यवहारिक बताते हुए इन्हें जल्द कम करने की मांग की है।
विरोध की तीव्रता को देखते हुए, यह मुद्दा अब प्रदेश की राजनीति में बड़ा स्वरूप ले चुका है।
विभिन्न इलाकों में धरना, ज्ञापन और रोज़ाना विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं।
सरकार पर बढ़ा दबाव, जल्द आ सकता है संशोधन
तेजी से बढ़ते जनआक्रोश ने सरकार के सामने चुनौती खड़ी कर दी है।
अंदरूनी चर्चाओं में यह माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में सरकार गाइडलाइन दरों में संशोधन या आंशिक राहत देने का निर्णय ले सकती है।
प्रदेशवासियों की नजर अब पूरी तरह इस बात पर है कि सरकार अगला कदम क्या उठाती है, क्योंकि इसका सीधा असर जमीन खरीद-फरोख्त, राजस्व और बाजार गतिविधियों पर पड़ेगा।
स्थिति संकेत दे रही है कि निर्णय जल्द लिया जा सकता है।


