अभनपुर (छत्तीसगढ़) — रायपुर जिले के अभनपुर विकासखंड स्थित शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, हसदा-2 बदहाली और लापरवाही की जीती-जागती मिसाल बन चुका है। यहां कक्षा 6वीं से 12वीं तक के छात्र-छात्राएं आज भी सुरक्षित भवन के बिना शिक्षा पाने को मजबूर हैं। बारिश के मौसम में क्लासरूम की जगह कैंटीन, लैब या खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करना उनकी मजबूरी बन गई है।
छत गिरने का डर, बारिश में छुट्टी
स्कूल भवन की छत और खंभे इतने जर्जर हो चुके हैं कि बच्चों की जान को हर वक्त खतरा बना रहता है।
- बारिश के दिनों में क्लास रोककर छुट्टी दे दी जाती है।
- खुले में पढ़ाई के दौरान सड़क का शोर, जानवरों की आवाजाही और भीड़-भाड़ से छात्रों का ध्यान भटकता है।
- कई छात्रों के परीक्षा परिणाम में 20–30% तक की गिरावट दर्ज की गई है।
छात्रों का कहना है — “हमारे पास किताबें और शिक्षक हैं, लेकिन सुरक्षित भवन नहीं। डर हर समय बना रहता है कि कहीं छत गिर न जाए।”
44 साल पुराना भवन बना खंडहर
- 1981 में बने इस भवन में अब पढ़ाना मुश्किल हो चुका है।
- 2012–13 में जनसहयोग से लैब और 4 कमरे बने, लेकिन वे भी जरूरत के मुकाबले कम हैं।
- 15 साल से लगातार नए भवन की मांग की जा रही है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
गांव के सरपंच ने बताया — “सांसद से लेकर विधायक तक सबको गुहार लगाई, जनवरी में सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने एक साल में नया भवन बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई प्रगति नहीं हुई।”
‘दिया तले अंधेरा’ जैसी स्थिति
सरकार जहां स्मार्ट क्लास और नई शिक्षा नीति के दावे कर रही है, वहीं हसदा-2 का स्कूल बिजली की कमी, असुरक्षित कक्षाओं और संसाधनों की दयनीय स्थिति से जूझ रहा है।
गांववाले और अभिभावक एक सुर में मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द नया भवन बनाकर बच्चों की जान और शिक्षा दोनों को सुरक्षित किया जाए।