सीजी भास्कर, 24 नवंबर। जोहार पार्टी प्रमुख तथा छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के अध्यक्ष अमित बघेल (HC Petition Dismissed) की तत्काल गिरफ्तारी और पुलिस जांच की निगरानी की मांग को लेकर दायर याचिका पर हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के आरोपों और रखे गए तर्कों पर विचार करने के बाद अदालत ने स्पष्ट कहा कि आपराधिक जांच (HC Petition Dismissed) में दखल देना न्यायालय के दायरे में नहीं आता। इसी आधार पर कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।
डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में कहा कि किसी भी चल रही आपराधिक जांच में हस्तक्षेप करना या किसी आरोपित की गिरफ्तारी के लिए निर्देश देना न्यायालय का क्षेत्राधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि जांच के तौर–तरीकों में बदलाव, सीनियर अफसर की निगरानी या माइक्रो मैनेजमेंट जैसे निर्देश (HC Petition Dismissed) देना न्यायिक मर्यादा के खिलाफ है। रायपुर के अवंती विहार निवासी अमित अग्रवाल ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के अध्यक्ष अमित बघेल कई समुदायों सिंधी, जैन और अग्रवाल—के विरुद्ध भड़काऊ बयानबाजी कर रहे हैं। उनका आरोप था कि इस गंभीर प्रकरण में प्रशासन ने पर्याप्त कठोरता नहीं दिखाई।
अव्वल दर्जे की गंभीरता के बावजूद कोर्ट ने माना कि जांच एजेंसी अपने स्तर पर कार्रवाई कर रही है और न्यायालय किसी भी प्रकार के ‘विशेष निर्देश’ जारी नहीं कर सकता। याचिका खारिज होने के बाद अब मामले की आगे की जिम्मेदारी पुलिस तंत्र के पास ही रहेगी।
अमित पर पांच हजार का इनाम
एफआइआर के बाद फरार अमित बघेल के ऊपर पुलिस ने पांच हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया है। अमित बघेल की सूचना देने वालों को यह इनाम दिया जाएगा। पुलिस ने आश्वस्त किया है कि सूचना देने वालों की पहचान गोपनीय रखा जाएगा। अमित पर 12 वीं एफआइआर क्रांति सेना के अध्यक्ष अमित बघेल के खिलाफ कर्नाटक की बैंगलुरु पुलिस ने एफआइआर दर्ज की है। डिफेंस कालोनी इंद्रानगर निवासी रामकृष्ण पी ने अमित बघेल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। अमित के खिलाफ यह 12 वीं एफआइआर है।
देशभर में अब तक 12 प्रकरण
अमित बघेल के खिलाफ कहां–कहां दर्ज एफआइआरें
रायपुर, दुर्ग, जगदलपुर, सरगुजा, रायगढ़, धमतरी, इंदौर, ग्वालियर, नोएडा, महाराष्ट्र, प्रयागराज और बैंगलुरु।
मूर्ति विवाद क्या था?
26 अक्टूबर 2025 को रायपुर के वीआईपी चौक पर छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति तोड़े जाने से हंगामा मच गया था। घटना के बाद छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें पुलिस से झड़प भी हुई। बाद में मूर्ति को दोबारा स्थापित किया गया। पुलिस ने सारंगढ़–पुसौर के मनोज को गिरफ्तार किया, जो मानसिक रूप से बीमार बताया गया।
