सीजी भास्कर, 20 दिसंबर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक सदस्यगण श्रीमती लक्ष्मी वर्मा, श्रीमती सरला कोसरिया, सुश्री दीपिका सोरी एवं श्रीमती ओजस्वी मंडावी ने आज जनपद पंचायत सभा कक्ष जिला बलौदाबाजार-भाटापारा में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर जनसुनवाई की।
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज प्रदेश स्तर में 300वीं एवं जिला स्तर में 8वें नम्बर की सुनवाई हुई। बलौदा बाजार जिला की आज की सुनवाई में कुल 30 प्रकरण सुनवाई हेतु रखे गये थे।
एक प्रकरण में अनावेदक शासकीय सेवक है जिनकी पोस्टिंग बम्हनमुडी प्राथमिक शाला में है, उनके दो पुत्र हैं। अनावेदक को 58 हजार मासिक वेतन मिलता है। लगभग 3 साल से आवेदिका से अलग रहता है और उसे कोई भरण पोषण नहीं देता।
अनावेदक के पुत्र ने बताया कि उसके पिता अनावेदक उसकी मां आवेदिका के साथ मारपीट दुर्व्यवहार करते हैं और नशे के आदि है तथा मां के सामने ही दूसरी औरतों को घर में ले आते हैं। उनका बेटा सिविल इंजीनियर है और अपनी मां को अपने पिता से होने वाली मारपीट से बचाने के कारण, बाहर में मिल रही है (लेकिन अपनी मां की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए) नौकरी नहीं कर पा रहा है। अपने पिता के दुर्व्यवहार के कारण 3 साल से लीवर की बिमारी से परेशान है। आवेदिका के दोनों बेटे के नाम पर रिहायसी मकान व खेत को वसीयत किया था जिसका कागज अनावेदक के पास है और आज तक शासकीय अभिलेखों में नाम दर्ज नहीं हो पाया है। उन मकानों का किराया पुत्र को प्राप्त हो रहा है, जिससे वे अपना खर्च चला रहे हैं। अर्जुनी बस स्टैण्ड में 4 दुकान है जिनसे 12 हजार रूपये अनावेदक लेता है और 58 हजार शासकीय वेतन मिलता है व लगभग 8-9 एकड़ खेती का रूपया भी अनावेदक खुद रखता है। इसके अतिरिक्त व्यक्तिगत व्यवसाय भी करता है।
अनावेदक का कथन था कि वह बच्चों की पढाई का खर्च उठा रहा है और लोन में रूपया कटता है तथा मकान का किराया आवेदिका को 15 हजार मिलता है इसलिए वह आवेदिका को पैसा नहीं देता है। आयोग के द्वारा उभय पक्ष को विस्तारसे सुना गया लेकिन अनावेदक अपनी गलती को मानने को तैयार नहीं हुआ। अनावेदक को लगभग 70 हजार की आमदनी हो रही है और आवेदिका को कोई भी धनराशि नहीं दे रहा है। आवेदिका अपने बेटे के उपर आश्रित है, ऐसी दशा में यह पाया गया कि आवेदिका 20 हजार रूपये प्रतिमाह भरण पोषण की हकदार है। आवेदिका और उसके दोनों बेटे का नाम सर्विस बुक में भी दर्ज है। इस आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी बलौदा बाजार और जिला कलेक्टर बलौदा बाजार को आयोग की ओर से विस्तृत पत्र भेजा जायेगा और साथ ही आर्डरशीट की प्रति भी भेजी जायेगी और आयोग इस प्रकरण में यह अनुशंसा करती है कि आवेदिका को अनावेदक के वेतन से सीधे 20 हजार रू प्रति माह आवेदिका के खाते में दिया जाये। इस निर्देश के साथ प्ररकण नस्तीबद्ध किया गया।
अन्य प्रकरण में अनावेदक एवं आवेदिका के बीच सुलह हो चुकी है आवेदिका ने कहा कि दो शिक्षकों को अलग कक्ष दिया गया है जो सबके साथ अडजेस्ट नहीं होती है। उनके कारण समस्या बढ़ रही है। अनायेदक का कहना है कि वो दो शिक्षिकायें फिर शिकायत करने की धमकी देती हैं, इस पर आयोग ने निर्देशित किया है कि उन दोनों शिक्षिकाओं की शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी से करें।
अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि वह दीवानी मामला कोर्ट में जीत चुकी है परंतु अनावेदक ने उसकी जमीन पर कब्जा कर रखा है। जिस पर अनावेदक ने बताया किया उसकी जमीन का खसरा नम्बर अलग है इस स्तर पर दोनों पक्षों को समझाईश दी गई कि वह पुनः सीमांकन का दावा करें व अपना-अपना खसरा नम्बर चिन्हांकित करावें।
अन्य प्रकरण में आवेदिका अपने पति को बचाने के लिए अनावेदिका के खिलाफ शिकायत की है। अनावेदिका ने बाताया कि वो आवेदिका को नहीं जानती है लेकिन उसके पति ने अनावेदिका के खिलाफ कई जगह शिकायत की है, जिसमें शिकायत झूठी पाई गई है। आवेदिका के पति को अनावेदिका के शासकीय पद में रहने पर भी पार्टनरशिप में ऐतराज है तो इसकी जांच के लिए अलग से फोरम है जहां आवेदिका शिकायत कर सकते हैं। आयोग महिला की समस्या का समाधान करने के लिए है पति की समस्या के लिए नहीं है, अतः प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया है।
अन्य प्रकरण में आवेदिका का प्रकरण एक वर्ष की निगरानी हेतु रखा गया था। आवेदिका ने सुलहनामा के अवेदन प्रस्तुत किया कि उनका दो वर्ष पूर्व सुलह हो गया है अतः प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया है।अन्य प्रकरण में अनावेदक ने आवेदिका को साथ में रखने का प्रस्ताव दिया लेकिन आवेदिका द्वारा अनावेदक के साथ जाने से इंकार कर दिया गया। आवेदिका द्वारा अन्य न्यायालय में मामले चल रहे है। अतः प्रकरण अयोग में नहीं सुना जा सकता। प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसने अनावेदक से 3 लाख रू लिया था जिस पर अनावेदक द्वारा बताया गया कि उसने 8 लाख रू. दिया है जिसका स्टाम्प भी कराया गया है। जिस पर अनावेदक को 8 लाख रू. मूल समझौता पत्र एवं आवेदिका के ससुर के नाम का ऋण पुस्तिका लेकर तथा पावर आफ अटार्नी लेकर महिला आयोग रायपुर में उपस्थित होने कहा गया। प्रकरण की अन्य प्रकरण में आवेदिका उपस्थित अनावेदक अनुपस्थित आवेदिका द्वारा अपनी बात रखी गयी। आवेदिका के पति द्वारा नबालिग लड़की को भगाने के कारण अपराधिक मामला भाटापारा न्यायालय में विधाराधीन है, इसलिए प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
अन्य प्रकरण में आवेदिका उपस्थित, अनावेदक अनुपस्थित रहे। इस प्रकरण की जांच महिला आयोग के द्वारा प्रोटेक्शन अधिकारी महिला एवं बाल विकास से कराई गई थी, जिन्होंने स्थल निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसमें अनावेदकगण ने आवेदिका की जमीन पर कब्जा कर रखा है। अतः आवेदिका अपनी शिकायत प्रमाणित कर चुकी है। अनावेदकगण को सुनवाई का मौका दिने के बाद भी उन्होंने अपना पक्ष नहीं रखा है, जिससे यह साबित होता है कि अनावेदकगण ने आवेदिका की जमीन पर बेजा कब्जा कर रखा है। अतः आयोग इस प्रकरण में आवेदिका के पक्ष में यह अनुशंसा करते है कि अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) भाटापारा मौके पर जाकर आवेदिका की जमीन का बेजा कब्जा खाली करावे व बाधा डालने वाले अनावेदकगणों के खिलाफ प्रतिबघांत्मक कार्यवाही भी करें। अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) भाटापारा से रिपोर्ट आने के बाद 2 माह बाद रायपुर सुनवाई में रखा जावेगा।