सीजी भास्कर 8 अगस्त
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अहम जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को पुलिस और संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वो यौन अपराधों की बार-बार शिकायत करने वालों का डेटाबेस बनाने की मांग पर जल्द निर्णय लें।
क्या था मामला?
यह याचिका शोनी कपूर नामक नागरिक द्वारा दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं जहां कुछ लोग बार-बार यौन शोषण या बलात्कार जैसे संगीन आरोप दर्ज कराते हैं, जो कि झूठे भी साबित हो सकते हैं। याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशि रंजन कुमार सिंह ने कोर्ट में दलील दी कि ऐसे मामलों की संख्या बढ़ रही है और इससे कानून का दुरुपयोग हो रहा है।
कोर्ट ने क्या कहा?
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने कहा कि इस पर निर्णय लेना प्रशासन और पुलिस का कार्यक्षेत्र है, और अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह याचिका के मेरिट्स पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही है, लेकिन प्रशासन से अपेक्षा की जाती है कि वह इस मांग पर जल्द और उचित फैसला ले।
याचिका में क्या मांग थी?
- बार-बार यौन उत्पीड़न की शिकायत करने वालों का रिकॉर्ड रखा जाए।
- प्रत्येक शिकायतकर्ता का पहचान पत्र (जैसे आधार कार्ड) अनिवार्य किया जाए।
- हर पुलिस जिले में ऐसे मामलों का डेटा बेस तैयार किया जाए।
याचिकाकर्ता का दावा है कि कई बार झूठे आरोप लगाकर लोगों की छवि खराब की जाती है और ऐसे मामलों में भी पुलिस को जांच के बाद ही कार्रवाई करनी चाहिए।
क्यों है यह मामला अहम?
आज के दौर में जहां यौन उत्पीड़न के मामलों को लेकर कानून बेहद संवेदनशील हैं, वहीं ऐसे झूठे मामलों से ना सिर्फ निर्दोष लोगों को परेशानी होती है, बल्कि असली पीड़ितों का विश्वास भी टूटता है। ऐसे में हाई कोर्ट का यह रुख कानून व्यवस्था और न्याय प्रक्रिया में संतुलन लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।