विधायक गोपीचंद पडलकर बोले-जिम में प्रशिक्षक कौन है, इसका कोई भरोसा नहीं
कहा- हिंदू युवतियों को बड़ी साजिश से बचने के लिए घर पर करना चाहिए व्यायाम
बिना पहचान पत्र के कॉलेज आने वाले युवाओं की जांच की मांग भी की
सीजी भास्कर, 17 अक्टूबर। भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर के बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलचल मचा दी है। विधायक ने कहा है कि हिंदू लड़कियों को ऐसे जिम (Hindu Girls Gym Controversy Maharashtra) से दूर रहना चाहिए, जहां प्रशिक्षकों की पहचान स्पष्ट न हो। उन्होंने कॉलेज जाने वाली युवतियों से अपील की कि वे घर पर ही योग करें और अजनबी ट्रेनरों वाले जिम में न जाएं, क्योंकि वहां “बड़ी साजिश” चल रही है।
महाराष्ट्र के बीड जिले में आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए पडलकर ने बिना किसी समुदाय का नाम लिए कहा “आज हिंदू समाज की बेटियां निशाने पर हैं। जिम या फिटनेस सेंटर के नाम पर उन्हें लुभाया जा रहा है। ये साजिश धीरे-धीरे हमारे समाज को कमजोर करने की कोशिश है। मैं हिंदू लड़कियों से निवेदन करता हूं कि वे ऐसे जिम न जाएं जहां यह भी पता न हो कि प्रशिक्षक कौन है। घर पर योग करें, वही सबसे सुरक्षित और पवित्र मार्ग है।”
उन्होंने आगे कहा कि “यह सिर्फ एक छोटी बात नहीं, बल्कि बहुत बड़ी साजिश (Hindu Girls Gym Controversy Maharashtra) है। हिंदू युवतियों को इस फंदे में फंसने से बचना होगा। हमारे घरों में योग और प्राणायाम की परंपरा है, हमें उसी को अपनाना चाहिए।” पडलकर ने यह भी कहा कि कॉलेजों में बिना पहचान पत्र के आने वाले युवाओं की पहचान की जांच की जानी चाहिए और ऐसे युवाओं के प्रवेश पर रोक लगानी चाहिए।
सांगली जिले के जाट विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक पडलकर ने कहा कि समाज को अब “मजबूत प्रतिरोधक तंत्र” बनाना होगा, जिससे ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके। उन्होंने युवाओं से कहा कि “सिर्फ फिटनेस ही नहीं, अपनी संस्कृति और पहचान की सुरक्षा भी जरूरी है। हमें अपनी बेटियों को जागरूक बनाना चाहिए।”
हालांकि, विधायक के इस बयान पर विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि इस तरह के बयानों से समाज में धार्मिक विभाजन पैदा करने की कोशिश की जा रही है। कुछ महिला संगठनों (Hindu Girls Gym Controversy Maharashtra) ने इसे महिलाओं की स्वतंत्रता पर हमला बताया है और कहा कि इस तरह के बयान से जेंडर समानता पर गलत संदेश जाता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पडलकर का यह बयान चुनावी मौसम में “सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और सुरक्षा भावनाओं” को उभारने का प्रयास भी हो सकता है। हालांकि भाजपा की ओर से अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं, सोशल मीडिया पर इस बयान को लेकर जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है। कुछ यूजर्स ने इसे “सावधानी का सुझाव” कहा, जबकि कईयों ने “स्त्री स्वतंत्रता पर पाबंदी” बताया।