रायपुर के शासकीय आंबेडकर अस्पताल का मामला, हाई कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान
कहा, एचआइवी पाजिटिव की पहचान उजागर करना अमानवीय व असंवेदनशील कृत्य
सीजी भास्कर, 17 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने रायपुर के शासकीय आंबेडकर अस्पताल में नवजात शिशु के सीने के पास ‘इसकी मां एचआइवी पाजिटिव है’ लिखी तख्ती लगाने की घटना को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने इसे (HIV Privacy Violation) अमानवीय और असंवेदनशील कृत्य बताते हुए राज्य सरकार को नवजात के माता-पिता को दो लाख रुपये का मुआवजा चार सप्ताह के भीतर देने का आदेश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभु दत्त गुरु की खंडपीठ ने मंगलवार को दिया।
अस्पताल में 10 अक्टूबर को नवजात के सीने के पास तख्ती लगाई गई थी। यह देखकर उसके पिता और स्वजन भावुक हो उठे थे। विभिन्न मीडिया प्लेटफार्मों पर समाचार सामने आने के बाद हाई कोर्ट (HIV Privacy Violation) ने तुरंत मामले का संज्ञान लिया और मुख्य सचिव को जांच कर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। मुख्य सचिव ने 14 अक्टूबर को हलफनामा प्रस्तुत किया।
राज्य सरकार ने बताया कि एचआइवी/एड्स (प्रीवेंशन एंड कंट्रोल) एक्ट के प्रविधानों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी सरकारी अस्पताल द्वारा (HIV Privacy Violation) मरीज की पहचान और उसकी बीमारी सार्वजनिक करना न केवल निजता का उल्लंघन है बल्कि गरिमा के अधिकार का भी हनन है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है।
अदालत ने टिप्पणी की कि ऐसी घटनाएं स्वास्थ्य संस्थानों (HIV Privacy Violation) के प्रति जनता का विश्वास कम करती हैं और एचआइवी पीड़ितों के प्रति समाज में फैले भेदभाव को बढ़ावा देती हैं। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि राज्य की यह जिम्मेदारी बनती है कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों और मरीजों की गोपनीयता की हर हाल में रक्षा की जाए।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि (HIV Privacy Violation) के समान मामलों में दोषियों की जवाबदेही तय की जाए और स्वास्थ्य कर्मियों को एचआइवी से जुड़ी संवेदनशीलता और मानवाधिकारों के प्रति प्रशिक्षण दिया जाए।