बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में गांजा तस्करी के मामले में विशेष एनडीपीएस अदालत ने महिला सहित तीन आरोपियों को दोषी ठहराते हुए 5-5 साल की सश्रम सजा और 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। अदालत ने स्पष्ट किया कि जुर्माना न भरने पर आरोपियों को दो महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
यह सख्त फैसला विशेष न्यायाधीश कु. पुष्पलता मार्कण्डे की अदालत से आया है, जो मादक पदार्थों की तस्करी के मामलों में तेजी से कार्रवाई के लिए जानी जाती हैं।
कैसे हुई गिरफ्तारी? जानिए पूरा घटनाक्रम
पूरा मामला 31 दिसंबर 2023 का है। थाना सकरी के सहायक उपनिरीक्षक हेमंत आदित्य को सूचना मिली थी कि ग्राम सैदा की एक महिला आरोपी सफेद डस्टर कार (CG 10 J 4100) से ओडिशा से गांजा लेकर आ रही है।
सकरी पुलिस टीम ने तत्परता दिखाते हुए गतवा तालाब के पास बैरिकेडिंग की और संदिग्ध वाहन को रोका। तलाशी लेने पर कार की सीट के नीचे छिपाए गए 5 पैकेटों में कुल 12 किलो गांजा बरामद किया गया।
कौन हैं दोषी?
गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम और पते इस प्रकार हैं:
- सुलक्षणा पाण्डेय (39) – ग्राम सैदा, थाना सकरी
- इदरीश मोहम्मद (45) – महामाया पारा, थाना कोनी
- मोनू उर्फ विनोद चौधरी (25) – लालपुर, थाना गौरेला
पुलिस ने इनके पास से गांजे के अलावा डस्टर कार, तीन मोबाइल फोन और ₹2,000 नकद भी जब्त किए।
अदालत में क्या चला?
विशेष लोक अभियोजक संजय नागदेव ने अदालत में पेश गवाहों और दस्तावेजों के माध्यम से यह सिद्ध किया कि आरोपी व्यवस्थित तरीके से गांजा का परिवहन और वितरण करने की साजिश रच रहे थे।
पुलिस की समय रहते की गई कार्रवाई ने न केवल इस तस्करी को रोका, बल्कि एक बड़ी ड्रग सप्लाई चेन का खुलासा भी किया।
इस मामले से साफ होता है कि छत्तीसगढ़ में ड्रग्स के खिलाफ कानून अब सख्ती से लागू हो रहा है। महिला आरोपी की संलिप्तता और योजनाबद्ध तस्करी यह दर्शाती है कि नशे का धंधा अब किस हद तक फैल चुका है।
पुलिस की तत्परता और न्यायालय की सख्ती के चलते अब ऐसे मामलों में जल्द फैसला आ रहा है, जो समाज में एक कड़ा संदेश देता है।