सीजी भास्कर, बिलासपुर | 1 अगस्त
छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में एक बड़ा शहरी विकास घोटाला उजागर हुआ है, जिसमें नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (TCP) के अफसरों की मिलीभगत से फर्जी आर्किटेक्ट के नाम पर 400 से अधिक नक्शे और 150+ ले-आउट पास कर दिए गए।
10 साल से चल रहा था फर्जीवाड़ा
जांच में सामने आया है कि यह घोटाला पिछले दशक भर से जारी था। आरोपी अफसर एक काल्पनिक आर्किटेक्ट ‘विकास सिंह’ के नाम का उपयोग कर नक्शों की फाइलें पास करवा रहे थे। दिलचस्प बात यह है कि विकास सिंह के नाम से जारी लाइसेंस नंबर 234 पर जो मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड है, वह किसी मयूर गेमनानी नामक व्यक्ति का है।
जब नगर निगम ने 2025 में इस मामले की जांच शुरू की, तब यह खुलासा हुआ कि 2015 से लेकर 2025 तक लगातार इस नाम से फर्जी स्वीकृतियाँ जारी की जाती रहीं।
एक होटल से खुला फर्जीवाड़े का पर्दा
13 मई 2025 को महुआ होटल (पुराना बस स्टैंड) पर नगर निगम ने अवैध निर्माण को लेकर कार्रवाई की थी। इस कार्रवाई के दौरान सामने आया कि होटल का नक्शा आर्किटेक्ट विकास सिंह के शपथ पत्र पर पास हुआ था। नियमों के उल्लंघन और गलत दस्तावेजों के आधार पर पास हुए इस नक्शे के चलते 24 जुलाई 2025 को विकास सिंह का लाइसेंस ब्लैकलिस्ट कर दिया गया।
इसके बाद जांच का दायरा बढ़ा तो पूरे मामले की परतें खुलती गईं।
एक दिन में 29 नक्शों को मिली मंजूरी
जांच में यह भी पता चला कि एक ही दिन में 29 फाइलों को मंजूरी दी गई थी, जो कि बिना ऊपरी मिलीभगत के संभव नहीं लगता। यह पूरा घोटाला टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और नगर निगम के अफसरों के गठजोड़ का परिणाम माना जा रहा है।
नक्शा और ले-आउट पास कराने की दरें
- 1 एकड़ भूमि के ले-आउट के लिए शुल्क: ₹75,000 से ₹2.5 लाख
- 1000 वर्गफुट मकान के नक्शे की फीस: ₹8,000 से ₹20,000 या उससे अधिक
- यदि रोड, पार्क, ड्रेनेज जैसी सुविधाएं भी शामिल हों, तो लागत और बढ़ जाती है।
अब EOW को सौंपा जा सकता है केस
नगर निगम ने संकेत दिए हैं कि यह मामला अब आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) को सौंपा जा सकता है। FIR दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अफसरों की एक सिंडिकेट द्वारा यह घोटाला संचालित किया गया, और अब इसमें शामिल बड़े नामों का खुलासा होने की संभावना है।