पाकिस्तान , 12 मार्च 2025:
‘मैं हिंदू हूं, पाकिस्तान में रहती हूं। मुझे यहां कोई परेशानी नहीं होती। हम खुलकर रहते हैं। त्योहार मनाते हैं। एंजॉय करते हैं। यहां की सरकार हमारे लिए प्रोग्राम करवाती है। हमें सिक्योरिटी देती है। हमारे आसपास काफी मुस्लिम रहते हैं, लेकिन उनकी वजह से हमें कोई दिक्कत नहीं है।
पति धनराज और बच्चे के साथ कराची के रत्नेश्वर मंदिर आईं नीतू के इस जवाब से मुझे हैरानी हुई। मैंने उनसे पूछा था कि भारत में ऐसी खबरें आती हैं कि यहां हिंदुओं के हालात अच्छे नहीं हैं। वे पूजा नहीं कर सकते, त्योहार नहीं मना सकते। मंदिरों की स्थिति भी ठीक नहीं है।
चैंपियंस ट्रॉफी की कवरेज के लिए मैं पाकिस्तान पहुंचा, तो मुझे भी ऐसा ही लगता था। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि वाले दिन मैं इस्लामाबाद में था। एक लोकल जर्नलिस्ट ने मुझसे कहा कि आपको आज कराची में होना चाहिए था। वहां एक शिव मंदिर है, जहां शिवरात्रि पर 25 हजार से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं। मंदिर के बारे में मान्यता है कि वहां भगवान शिव की तीसरी आंख मौजूद है और वह किसी भी मुसीबत से कराची को बचाकर रखती है।
ये कराची के रत्नेश्वर महादेव मंदिर का एंट्री गेट है। ये मंदिर अपने शिवरात्रि उत्सव के लिए मशहूर है। फोटो में दिख रहीं सीढ़ियां मंदिर के अंदर ले जाती हैं।
ये कराची के रत्नेश्वर महादेव मंदिर का एंट्री गेट है। ये मंदिर अपने शिवरात्रि उत्सव के लिए मशहूर है। फोटो में दिख रहीं सीढ़ियां मंदिर के अंदर ले जाती हैं।
कराची के मशहूर क्लिफ्टन बीच पर है रत्नेश्वर महादेव मंदिर
मैं इस्लामाबाद की कवरेज के बाद कराची पहुंचा। यहां शिवमंदिर के बारे में पता किया। ये मंदिर शहर की प्राइम लोकेशन में से एक क्लिफ्टन बीच के पास है। मंदिर की ओर जाते वक्त मैं यही सोच रहा था कि ये बुरी हालत में होगा। लोग डर के माहौल में वहां आते होंगे।
शाम 7 बजे मंदिर पहुंचा, तो देखा कि मेन गेट लाइट्स से जगमगा रहा था। पूरा परिसर काफी व्यवस्थित है। मैं माइक के साथ गया था, इसलिए मुझे दरवाजे पर रोक दिया
मैंने कहा कि मैं भारत से आया हूं। मंदिर की कवरेज करनी है। जवाब मिला- आप अंदर जाकर पूजा कर सकते हैं, मीडिया कवरेज के लिए इजाजत लेनी पड़ेगी। फिर गेट पर खड़े शख्स ने किसी को फोन किया।
दूसरी ओर मौजूद शख्स से मेरी बात कराई। वे पाकिस्तान हिंदू पंचायत के महासचिव रवि डडानी थे। रवि ने गेट पर खड़े शख्स से कहा कि मुझे माइक के साथ अंदर जाने दें। साथ ही बताया कि वे भी कुछ देर में पहुंच रहे हैं।
जमीन से नीचे 6 लेवल पर बना मंदिर, आखिरी लेवल पर महादेव की मूर्ति
आमतौर पर किसी मंदिर में सीढ़ियां चढ़ने के बाद भगवान के दर्शन होते हैं। रत्नेश्वर मंदिर में सीढ़ियां नीचे की ओर जाती हैं। ये मंदिर जमीन की सतह से काफी नीचे है। कुल 6 लेवल हैं, सबसे निचले लेवल पर भगवान शिव विराजमान हैं।
हिंदू बोले- यहां खुश हैं, कोई भेदभाव नहीं होता
परिसर के अंदर जाते हुए मुझे कई भक्त मिले। मैंने सोचा कि इससे पहले कि यहां के व्यस्थापक आएं, इन लोगों से बात कर लेता हूं। हो सकता है कि उनके आने के बाद ये खुलकर बात न करें।
यहीं कराची की रहने वाली नीतू मिलीं। मैंने उनसे पूछा कि क्या हिंदू होने की वजह से आपको पाकिस्तान में कोई दिक्कत होती है। उन्होंने जवाब दिया- बिल्कुल नहीं।
मैंने पूछा- कभी इंडिया आने का मन करता है? नीतू कहती हैं, ‘दिल तो करता है कि वहां जाएं।’
तभी उनके पति धनराज बोलने लगते हैं, ‘जम्मू में वैष्णो देवी मंदिर जाने की इच्छा है। हमारा गांव भी इंडिया में है, लेकिन कभी वहां जा नहीं पाए।’
मंदिर में ही मिले कैलाश कुमार कहते हैं, ‘यहां हमारी अच्छी लाइफ है। अच्छे तरीके से सभी त्योहार मनाते हैं। अभी होली आने वाली है। हम इसकी तैयारी कर रहे हैं।’
कैलाश के साथ आईं लता बताती हैं, ‘पहले हमारा परिवार उमरकोट में रहता था। कराची आए 40 साल से ज्यादा हो गए। भोलेनाथ की दया से सब ठीक है।’
भारत में किस मंदिर में दर्शन करने जाना चाहती हैं, लता जवाब देती हैं- ‘हरिद्वार। अगर गए तो सभी मंदिरों में जाएंगे।’
बगल में लक्ष्य खड़े थे। उम्र करीब 20 साल होगी। मैंने पूछा- ‘आप कभी मार्केट जाते हैं और खुद को हिंदू बताते हैं, आपके साथ कोई भेदभाव होता है?’
लक्ष्य बताते हैं, ‘नहीं। यहां सभी हमें भाई समझते हैं। हमारे साथ कभी भेदभाव नहीं होता।’
मंदिर का मेंटेनेंस हिंदू संगठन के पास, सरकार से मदद नहीं लेते
कुछ देर में पाकिस्तान हिंदू पंचायत के महासचिव रवि डडानी आ गए। उनके साथ पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों के रखरखाव के लिए बने विभाग के प्रमुख कृष्ण शर्मा भी थे।
रवि बताते हैं, ‘2014 में यहां पास में एक फ्लाईओवर बनना शुरू हुआ था। कंस्ट्रक्शन की वजह से मंदिर में दरारें आने लगीं। पाकिस्तान हिंदू पंचायत ने कंस्ट्रक्शन रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर को पाकिस्तान की धरोहर बताते हुए फ्लाईओवर का काम रुकवा दिया।’
कराची में 50 से ज्यादा मंदिर, पाकिस्तान में 4 हजार मंदिरों में होती है पूजा
रवि डडानी के साथ मौजूद कृष्ण शर्मा मंदिरों के रखरखाव का काम देखने वाले सरकारी डिपार्टमेंट के प्रमुख हैं। वे बताते हैं, ‘कराची में अभी करीब 50 मंदिर फंक्शनल हैं यानी उनमें नियमित पूजा होती है। बड़ी तादाद में श्रद्धालु आते हैं।’
‘पूरे पाकिस्तान में करीब 4 हजार छोटे-बड़े हिंदू मंदिर हैं। ये सच है कि इनमें से कई मंदिरों की स्थिति अच्छी नहीं है। अब पाकिस्तान सरकार सभी मंदिरों को रिस्टोर करने और देश-विदेश के हिंदुओं को इनका एक्सेस देने पर काम कर रही है।’
‘पाकिस्तान में हिंदुओं से भेदभाव की खबरें सच नहीं’
कृष्ण शर्मा आगे बताते हैं, ‘पाकिस्तान के बाहर ऐसा नैरेटिव फैला हुआ है कि यहां हिंदुओं के साथ बहुत भेदभाव होता है। ये सच नहीं है।’
हमने उनसे पूछा- ‘पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों को अगवा करने, जबरन उनकी शादी करवाने और धर्म बदलवाने की खबरें आती हैं, ये कितनी सच हैं?’
कृष्ण शर्मा जवाब देते हैं, ‘ऐसे वाकये होते हैं, जिनमें हिंदू लड़कियां मुसलमान लड़कों से शादी करती हैं। शादी से पहले उनका धर्म भी बदलवाया जाता है। हालांकि, ज्यादातर मामलों में लड़कियां मर्जी से शादी के लिए मुसलमान लड़के को चुनती है।’
‘अगर लड़की की उम्र 18 साल से कम होती है तो प्रशासन सख्त कदम उठाता है। भारत में भी कोई बालिग लड़की गैर धर्म के लड़के से अपनी मर्जी से शादी करे, तो कानून कुछ नहीं कर सकता। ऐसा ही यहां भी है। फिर भी सरकार की कोशिश है कि इस तरह के मामले कम से कम हों।’
‘हिंदू मंदिर में कभी धमाके नहीं होते’
कृष्ण शर्मा कहते हैं, ‘आप अक्सर पाकिस्तान की मस्जिदों में धमाके की खबरें सुनते होंगे। यहां हिंदू मंदिरों में कभी कोई आतंकी घटना नहीं हुई है। कुछ सोशल मसले हैं, लेकिन ये तो हर जगह होते हैं। हां, जब भारत से खबरें आती हैं कि वहां मुसलमानों के साथ अच्छा सलूक नहीं हो रहा है, तो इसका असर पाकिस्तान पर भी पड़ता है।’
‘पाकिस्तान में करीब 80 लाख हिंदू, सबसे ज्यादा सिंध में’
कृष्ण शर्मा आगे बताते हैं, ‘सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान में 52 लाख हिंदू रहते हैं। हालांकि, हमारा डेटा बताता है कि ये आंकड़ा करीब 80 लाख है। पूरे पाकिस्तान में हिंदुओं की सबसे बड़ी आबादी सिंध प्रांत में है। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वाह में भी हैं। कराची हिंदुओं की सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है। यहां 1.50 लाख से ज्यादा हिंदू रहते हैं।’