गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद में तैनात राज्य कर (GST) अधिकारी रेनू पांडेय पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं। उन पर एक कारोबारी से 3.5 लाख रुपये रिश्वत लेने का आरोप सिद्ध होने पर सरकार ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित (Suspended) कर दिया है।
इस कार्रवाई का आधार शिकायत में मिले ऑडियो और वीडियो सबूत रहे, जिनकी पुष्टि होने के बाद राज्य कर आयुक्त डॉ. नितिन बंसल ने शुक्रवार को निलंबन आदेश जारी कर दिया। साथ ही विभागीय जांच के भी निर्देश दिए गए हैं।
12 जुलाई की घटना से जुड़ा रिश्वत प्रकरण
मामला 12 जुलाई 2025 का है। आरोप है कि ड्यूटी पर तैनाती के दौरान रेनू पांडेय ने मेसर्स बडी इंटरप्राइजेज, लखनऊ की गाड़ी (UP-25 ET 2138) को रोका था। इसी दौरान उन्होंने कथित तौर पर फर्म से 3.5 लाख रुपये की अवैध वसूली की।
शिकायतकर्ता ने इस रिश्वतखोरी के फोन कॉल ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग भी सबूत के तौर पर सौंपे थे। विभागीय जांच में इन रिकॉर्डिंग्स को सही पाया गया, जिसके आधार पर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई।
पहले IAS अफसर पर लगाए थे उत्पीड़न के आरोप
गौरतलब है कि रेनू पांडेय कुछ समय पहले भी सुर्खियों में रही थीं, जब उन्होंने नोएडा के अपर आयुक्त संदीप भागीय पर महिला अफसरों का उत्पीड़न करने का गंभीर आरोप लगाया था। अब खुद रिश्वत प्रकरण में फंसने के बाद मामला और बड़ा हो गया है।
विभागीय जांच और आगे की कार्रवाई
आयुक्त के आदेश में कहा गया है कि आरोप बेहद गंभीर हैं और प्रथम दृष्टया रेनू पांडेय दोषी पाई गई हैं। उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1999 के तहत जांच शुरू की गई है।
जांच की जिम्मेदारी वाराणसी जोन प्रथम के संयुक्त आयुक्त मनोज कुमार सिंह को सौंपी गई है। निलंबन अवधि में रेनू पांडेय को वाराणसी जोन द्वितीय, आजमगढ़ से संबद्ध किया गया है और उन्हें किसी भी प्रशासनिक या वित्तीय कार्य से दूर रखा गया है।
विभाग में हड़कंप
इस घटनाक्रम ने प्रशासनिक गलियारों और कर विभाग में हलचल मचा दी है। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की कठोर कार्रवाई से विभाग की साख और पारदर्शिता बनाए रखने में मदद मिलेगी। जांच पूरी होने के बाद यदि आरोप पुख्ता साबित होते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी और विभागीय कार्रवाई हो सकती है।