शिवजी हमारे सखा और तारणहार भी हैं, जो हमें इस मृत्युलोक से पार करा देते है – भिलाई जयंती स्टेडियम में पांचवें दिन कथा
जयंती स्टेडियम के मैदान में भक्तों जनसैलाब उमड़ा, हर-हर महादेव, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं के जयकारे से गूंज उठी भिलाई
सीजी भास्कर, 03 अगस्त। सिविक सेंटर स्थित जयंती स्टेडियम मैदान में आयोजित शिवमहापुराण कथा के पांचवें दिन कथा स्थल पर लाखों की संख्या में भक्त उपस्थित रहे।
रविवार का दिन होने के कारण कथा सुनने आए भक्तों की संख्या आज दोगुनी रही। लोग पेड़ पर चढ़ कर कथा सुन रहे थे।
कथा प्रारंभ में अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि बोल बम सेवा एवं कल्याण समिति के अध्यक्ष दया सिंह के नेतृत्व में पवित्र पावन शिवमहापुराण कथा का दिव्य भव्य आयोजन किया गया है। संपूर्ण जगत में भिलाई नगर में सभी शिवभक्तों को यह पवित्र पावन कथा श्रवण करने का सौभाग्य मिला है।
रविवार को कथा श्रवण करने CM Vishnudev sai की धर्मपत्नी कौशिल्या देवी साय, छत्तीसगढ़ शासन के डीजीपी अरूण देव गौतम, उत्तर प्रदेश भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सांसद रमापति राम त्रिपाठी, देवरिया, समाजसेवी तुलिका केडिया, महापौर नीरज पाल, नगर निगम के आयुक्त राजीव पांडेय मनीष बंछोर आदि उपस्थित थे।

कथा में पंडित मिश्रा ने कहा कि शिव कथा एक प्रेम का प्रतीक है। संपूर्ण जगत में यदि सतयुग से लेकर त्रेतायुग तक, त्रेता से द्वापर, द्वापर से कलियुग तक कहीं प्रेम का वर्णन आता है तो भगवान शिव का नाम प्रथम नंबर पर आता है।

क्योंकि जितना प्रेम भगवान शिव देते हैं, उतना ही प्रेम अपने भक्त से लेते भी हैं। आज दोस्ती के लिए दिन बना दिया गया, फ्रेंडशिप डे। एक अच्छे मित्र आपके चरित्र का निर्माण भी करता है। शिवजी हमारे सखा भी हैं और हमारे तारणहार भी हैं, जो हमें इस मृत्युलोक से पार करा देते हैं।
आज कौन सी स्त्री ऐसी होगी, जो अपने पति का सम्मान नहीं हुआ, आदर, सत्कार नहीं हुआ और अपने पिता के घर अपने प्राण त्याग देती है।
एक केवल मां जगतजननी माता सती हैं, जो अपने पति देवाधिदेव महादेव का अपमान नहीं सह पाई। प्रेम जब बढ़ता है, जिससे आप स्नेह करते हो, उनका अपमान आप सह नहीं सकते।
जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा और बीमार की चिकित्सा का खर्च उठाइए। आपसे जितना बन सकता है, यह अच्छा कर्म जरूर कीजिए।
पंडितजी ने सीएम विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी की भक्ति को नमन किया
छग शासन के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पत्नी कौशिल्या देवी साय भी उपस्थित रहीं। उन्होंने श्रावण के महीने में लाखों पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करा और साथ में बैठकर पूजन किया।
इससे देशवासियों को यह प्रेरणा दी कि आप कितने भी ऊंचे ओहदे पर बैठ जाओ पर अपने संस्कारों का नहीं भूलना चाहिए। पं. प्रदीप मिश्रा ने कौशिल्या देवी की पहल को नमन किया।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जबरदस्ती किसी को मंदिर नहीं ले जाया जा सकता, कथा के पंडाल नहीं ले जाया जा सकता, कथा नहीं सुनाया जा सकता। ये काम जबरदस्ती के नहीं है।
इसी तरह प्रेम, स्नेह भी जबरस्ती हो सकता। ये तो अपने भीतर के आनंद से, परमात्मा की अलमस्ती से ही संभव है। भगवान की भक्ति में डूबने लगते हैं तो शिवजी हमें वो हस्ती बना देते हैं, जो दुनिया में किसी-किसी पर ही हो सकता है।
हमारे भीतर जब शिवनाम का स्मरण हो, मस्ती हो और सन्मुख प्रकट होने लगे तो समझ लेना शिव तुम्हारे हृदय में आकर बैठ गए। अब तुम साधारण नहीं, तुम्हारी हस्ती स्वयं शिव कुछ निश्चित कर रहे हैं।

संस्कार में तीन चीजें महत्वपूर्ण है। पहला शिक्षा, दूसरा धन और तीसरा संस्कार। शिक्षा जिसे हम अच्छे स्कूल, कॉलेज, अच्छे शिक्षक के पास पहुंचकर ग्रहण करते हैं, वह हमें जीने का तरीका सिखाती है। धन आपको गाड़ी, बंगला, जमीन दिला सकता है।
वैभवपति भी बना सकता है। यदि आपके जीवन में श्रेष्ठ संस्कार है, तो आप सफल बन जाते है।
शिक्षा और धन के साथ में यदि संस्कार का मिश्रण हो जाता है, तो आप जगत के वो स्त्री, पुरुष बन जाते हो, जो जीते जी तो पूजे जाते हो, मृत्यु के बाद भी पूजे जाते हो।
शिवजी के मंदिर में जाकर जब आप लोग एक लोटा जल समर्पित करते हो, दुनिया की नजर में वो पाषाण, शिवलिंग हो सकता है। जब आप दिल से, स्नेह से जल समर्पित करते हो और अपने मन की बात करते हो तो उस समय शिव पाषाण के नहीं रहते वे आपके सन्मुख विराजमान हो जाते हैं।
जिस राख को दुनिया का कोई व्यक्ति प्रयोग में नहीं ले सकता, उसे भगवान शिवशंकर अपने शरीर पर धारण करके उसकी कीमत बढ़ा देते हैं। दुनिया जिसको छोड़ दे, नकार दे उसे स्वीकार कर लेते हैं।
माता, पिता, गुरु के लिए तो समदृष्टि होना चाहिए। लेकिन जिस व्यक्ति से आपने विवाह किया है जो आपका पति है, उसके लिए सदा प्रेम और पूर्ण दृष्टि होना चाहिए।
जीवन में रिश्तेदार, नातेदार, कुटुंब रूठेंगे चलेगा, किस्मत रूठेगी वो भी चलेगी, लेकिन शिवमहापुराण कहती है कि किस्मत बनाने वाला परमात्मा नहीं रूठना चाहिए।
परिवार यदि टूट रहा है तो प्रयास किया जाए कि पहले उनका समझाया जाए और समझाना बहुत जरूरी है।
शिवमहापुराण की कथा कहती है कि डॉक्टर को शिव का रूप मानकर वाे जो सलाह दे उसे मानिये। यदि कोई शरीर में कोई रोग लग गया है, कष्ट आ गया तो पहले डॉक्टर के पास जाओ, इलाज करवाइए। जो दवाइयां दे उसे लें।
कुंदकेश्वर का नाम लेकर वो दवाइयां खाना प्रारंभ कीजिये। एक तरफ दवा होगी दूसरी तरफ शिवजी की कृपा होगी तो आप स्वस्थ जरूर होगे।