सीजी भास्कर 5 सितम्बर
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि तलाक या अलगाव के बाद यदि पति की आमदनी बढ़ती है, तो पत्नी के गुजारा भत्ते (Maintenance) में भी बढ़ोतरी की जा सकती है।
अदालत ने यह भी माना कि मौजूदा समय में महंगाई लगातार बढ़ रही है और ऐसे हालात में पत्नी का पुराने भत्ते पर गुजारा करना मुश्किल हो सकता है।
कोर्ट ने फैमिली कोर्ट का आदेश किया रद्द
यह मामला एक 60 वर्षीय महिला की याचिका से जुड़ा था। महिला ने पति की बढ़ी हुई आय का हवाला देते हुए गुजारा भत्ता बढ़ाने की मांग की थी। पहले फैमिली कोर्ट ने उसकी अर्जी खारिज कर दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने सोमवार को वह आदेश रद्द कर दिया।
अदालत ने माना कि पति रिटायर होने के बावजूद उसकी आय में इजाफा हुआ है, इसलिए पत्नी को अधिक भत्ता मिलना चाहिए।
मामला क्या है?
- महिला की शादी साल 1990 में हुई थी, लेकिन केवल दो साल बाद ही दोनों अलग हो गए।
- महिला ने पति पर दहेज की मांग और मानसिक-शारीरिक उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।
- साल 2012 में फैमिली कोर्ट ने पति को 10,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था।
- महिला ने 2018 में आवेदन दाखिल कर बताया कि पति को टीजीटी से पीजीटी पद पर प्रमोशन मिला है और उसकी आय बढ़कर 40,000 रुपये हो चुकी है। इसलिए भत्ता भी बढ़ाया जाए।
पति का पक्ष
70 वर्षीय पति ने अदालत में तर्क दिया कि वह 2017 में रिटायर हो चुका है और रिटायरमेंट के बाद उसकी आय कम हो गई है। उसने यह भी कहा कि वह दो साल तक एक्सटेंशन पर काम करता रहा, लेकिन अब उसकी आर्थिक स्थिति पहले जैसी नहीं है।
महिला का तर्क
महिला ने कहा कि उसके पिता, जो उसे आर्थिक मदद देते थे, अब नहीं रहे। ऐसे में उसका खर्च बढ़ गया है और पहले मिलने वाला भत्ता आज की महंगाई में नाकाफी है।
उसने यह भी आरोप लगाया कि पति ने जानबूझकर उसका नाम सीजीएचएस कार्ड से हटा दिया।
हाईकोर्ट की टिप्पणी
जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की बेंच ने कहा कि गुजारा भत्ते का उद्देश्य पत्नी की बुनियादी जरूरतों और गरिमा को बनाए रखना है। यदि पति की आय में वृद्धि होती है तो पत्नी को मिलने वाला भत्ता भी उसी अनुपात में बढ़ना चाहिए।