सीजी भास्कर, 25 फरवरी। छत्तीसगढ़ में पिछले पांच साल में सरकार को शराब से मिलने वाला राजस्व लगभग दोगुना हो गया है साथ ही राज्य में पीने पिलाने वालों की तादाद भी लगातार बढ़ी है। आपको बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में शराब पीने वालों की संख्या आबादी का 35.9 प्रतिशत है।वर्ष 2025 फरवरी में पिछले साल के मुकाबले शराब की खपत ज्यादा हो चुकी है हालांकि टार्गेट से अभी पीछे है, पर बाकी सालों की तुलना में इस बार आंकड़ा उछाल पर है।

गौरतलब हो कि छत्तीसगढ़ में वर्ष 2019-20 से लेकर अगले छह साल में शराब बिक्री से मिलने वाले राजस्व की स्थिति लगातार बढ़ी है और चालू वित्तीय वर्ष में आबकारी राजस्व से करीब 8 हजार 600 करोड़ रुपयों का राजस्व मिल चुका है। हालांकि राज्य सरकार ने इस वर्ष के लिए आबकारी राजस्व का लक्ष्य 11 हजार करोड़ रुपए रखा है। आबकारी प्रशासन के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो आने वाले एक महीने में यानि 31 मार्च तक लक्ष्य पूरा होने की संभावना है। वजह ये है कि वित्तीय वर्ष की आखिरी तिमाही में छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक शराब की बिक्री होती है। इसलिए लक्ष्य पूरा होने की संभावना है। खास बात ये है कि पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार को आबकारी से कुल 8 हजार 600 करोड़ रुपए मिले था। लेकिन इस साल यह जनवरी फरवरी में ही यह राजस्व मिल गया है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि राज्य में पिछले साल से अधिक शराब की बिक्री इस साल हो रही है। 31 मार्च के बाद साफ होगा कि इस वित्तीय वर्ष में कितनी शराब बिकी और कुल राजस्व कितना मिला। 11 हजार करोड़ का लक्ष्य प्राप्त होगा या नहीं।

छत्तीसगढ़ में शराब बिक्री बढ़ने के साथ ही जाहिर है कि पीने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। देश के जिन राज्यों में शराब पीने वाले बढ़े है उनमें छत्तीसगढ़ भी शामिल है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से जारी हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में हर पांचवां पुरुष यानी देश के 22.4% पुरुष शराब के शौकीन हैं। शराब पीने वाले पुरुषों में 59.1 प्रतिशत के साथ गोवा सबसे आगे है, इसके बाद अरुणाचल प्रदेश (56.6 प्रतिशत), तेलंगाना (50 प्रतिशत), झारखंड (40.4 प्रतिशत), ओडिशा (38.4 प्रतिशत), सिक्किम (36.3 प्रतिशत), छत्तीसगढ़ (35.9 प्रतिशत), तमिलनाडु (32.8 प्रतिशत), उत्तराखंड (32.1 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (31.2 प्रतिशत), पंजाब (27.5 प्रतिशत), असम (26.5 प्रतिशत), केरल (26 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल (25.7 प्रतिशत) का स्थान है।
